Sunday, August 31, 2008

डूसू की गरिमा पुन: बहाल करेंगे : वासु रूख्खड़


दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की ओर से उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार वासु रूख्खड़ लगातार दो वर्षों तक सत्यवती कॉलेज छात्र संघ के अध्यक्ष रहे है। उन्होंने अनेक आंदोलनों में भाग लिया है। शहीद शिरोमणि भगत सिंह को अपना आदर्श मानने वाले वासु रूख्खड से डूसू चुनाव-प्रचार के दौरान संजीव कुमार सिन्हा ने अनेक मुद्दों पर चर्चा की। प्रस्तुत है मुख्य अंश-


देश में अनेक छात्र संगठन हैं। आप विद्यार्थी परिषद् से ही क्यों जुड़े?
देश में कुछ छात्र संगठन ऐसे है, जिनकी जड़ें विदेशी विचारधारा से जुड़ी है। कुछ ऐसे है जो चुनावी कुकुरमुत्ते की भूमिका निभाते है। विद्यार्थी परिषद् ही देश का एकमात्र छात्र संगठन है जो भारतीय विचार से अनुप्राणित है और वर्ष में 365 दिन कॉलेजों में सक्रिय रहता है। परिषद् ही एकमात्र संगठन है जो शिक्षा क्षेत्र के साथ-साथ राष्ट्रीय मुद्दों पर भी अभियान चलाता है। इसलिए मैं विद्यार्थी परिषद का सदस्य बना।

निजीकरण की आड़ में शिक्षा का व्यासायीकरण धड़ल्ले से जारी है। इससे उच्च शिक्षा आम छात्रों की पहुंच से दूर नहीं हो रही है?
विद्यार्थी परिषद् शिक्षा के व्यावसायीकरण का स्पष्ट तौर पर विरोध करती है। हम शिक्षा को बाजार की वस्तु बना देने का विरोध करते है।

दिल्ली विश्वविद्यालय में आज अनेक समस्याएं मुंह बाएं खड़ी है। पुस्तकालयों में किताबें नहीं है। लैबोरेट्री में उपकरण नहीं है। छात्रों की संख्याएं लगातार बढ़ रही है लेकिन छात्रावासों की संख्या में इजाफा नहीं हो रहा है। कैम्पसों में छात्राओं के साथ छेड़खानी की घटनाएं बढ़ रही है। आंतरिक मूल्यांकन के नाम पर विद्यार्थियों के साथ भेदभाव जारी है। यू-स्पेशल बसों में कटौती जारी है। ऐसी अनेक समस्याएं है जिनको लेकर हम छात्रों के बीच जा रहे है।

लिंग्दोह कमेटी की सिफारिशों से आप कहां तक सहमत है?
तमाम कमियों के बावजूद हम लिंग्दोह कमेटी की सिफारिशों का स्वागत करते है। छात्र आंदोलन के गिरते स्तर को लेकर विद्यार्थी परिषद् भी चिंतित है। लिंग्दोह कमेटी की सिफारिशों में प्रमुख कमियां यह है कि यह व्यावहारिक धरातल से दूर है। यू स्पेशल और डीटीसी बसों की संख्या कम हो रही है। मेट्रो रेल में छात्रों को रियायती पास नहीं मिलता। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ से संबद्ध कॉलेज दिल्ली भर में फैले हुए है। इसलिए डूसू चुनाव-प्रचार महज पांच हजार रुपए में संपन्न हो, यह उचित नहीं है।

इस बार डूसू चुनाव में कौन से प्रमुख मुद्दे है?
दिल्ली विश्वविद्यालय में आज अनेक समस्याएं मुंह बाएं खड़ी है। पुस्तकालयों में किताबें नहीं है। लैबोरेट्री में उपकरण नहीं है। छात्रों की संख्याएं लगातार बढ़ रही है लेकिन छात्रावासों की संख्या में इजाफा नहीं हो रहा है। कैम्पसों में छात्राओं के साथ छेड़खानी की घटनाएं बढ़ रही है। आंतरिक मूल्यांकन के नाम पर विद्यार्थियों के साथ भेदभाव जारी है। यू-स्पेशल बसों में कटौती जारी है। ऐसी अनेक समस्याएं है जिनको लेकर हम छात्रों के बीच जा रहे है।

डूसू की राजनीति धनबल और बाहुबल पर टिकी हुई है। देश के प्रतिष्ठित छात्र संघ की इस स्थिति में बदलाव नहीं आना चाहिए है?
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ का गौरवशाली इतिहास रहा हैं। आपातकाल और बोफोर्स घोटाला के विरोध में डूसू ने व्यापक संघर्ष छेड़ा था। दुर्भाग्य से गत कुछ वर्षों में डूसू की गरिमा धूमिल हुई है। एनएसयूआई के नेतृत्ववाले डूसू ने छात्र हितों से खिलवाड़ किया है। आज छात्रसंघ भवन पेशेवर राजनीति का अड्डा बना हुआ है। डूसू पदाधिकारी अपने कांग्रेसी आकाओं को खुश करने में लगे रहते है। परिषद् देश का एकमात्र छात्र संगठन है जो दलीय तथा सत्तावादी राजनीति से ऊपर है। छात्रों का प्रतिनिधि संगठन होने के कारण डूसू महत्वपूर्ण संस्था है। विद्यार्थी परिषद् डूसू की गरिमा बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध है।

चुनाव-प्रचार के दौरान कॉलेजों में छात्रों की ओर से आपको कैसा प्रतिसाद मिल रहा है?
एनएसयूआई द्वारा ठगे जाने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र बड़ी शिद्दत के साथ विद्यार्थी परिषद् की जरूरत को महसूस करते है। चुनाव-प्रचार के दौरान परिषद् के पूरे पैनल को छात्रों का जबर्दस्त समर्थन मिल रहा है। इस बार वे एनएसयूआई के धोखे में नहीं आने वाले है और परिषद् प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित है।

घर घर जाकर मांगे वोट

दिनांक 31/08/08

प्रेस विज्ञप्ति

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की ओर से दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के लिए आज रविवार की छुट्टी होने के कारण डोर टू डोर प्रचार की योजना बनाई गई थी। इसी कड़ी में घर-घर जाकर न केवल छात्रों बल्कि उनके अभिभावकों से भी संपर्क साधा गया। अपने दरवाजे पर विद्यार्थी परिषद् के डूसू प्रत्याशियों नुपुर शर्मा, वासु रूक्खड़, अनुप्रिया यादव और मुकेश शुक्ला को देखकर छात्र फूले नहीं समा रहे थे तो उनके माता पिता ने भी इन प्रतिनिधियों को अपना आशीर्वाद दिया।

व्यक्तिगत संपर्कों की इस श्रृंखला के दौरान अभाविप प्रत्याशियों ने विभिन्न इलाकों में जाकर छात्रों से डीयू में होने वाली परेशानियों के बारे में जानकारी हासिल और उन्हें इस तरह की तमाम परेशानियों से निजात दिलाने का भरोसा दिलाते हुए विद्यार्थी परिषद् को समर्थन दिये जाने की अपील की है। अध्यक्ष पद की प्रत्याशी नुपुर शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में किसी भी तरह भय का वातावरण ना बने इसके लिए परिषद् कार्यकर्ताओं ने कमर कस ली है। इस तरह से कैम्पस में कांग्रेस सरकार की शह पर हो रही गुंडागर्दी को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

छात्रावासों एवं विभिन्न इलाकों में आयोजित छात्रसभाओं को संबोधित करने पहुंचे परिषद के उपाध्यक्ष पद के प्रत्याशी वासु रूक्खड ने डीयू में शैक्षिक वातावरण के निर्माण हेतु अभाविप प्रत्याशियों का समर्थन करने की छात्रों से अपील की है। वहीं सचिव पद की दावेदार अनुप्रिया यादव ने कहा कि हमें जिस तरह का समर्थन छात्रों की ओर से मिल रहा है उसे देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि अभाविप इस बार चारों सीटों पर विजय हासिल करने जा रही है। छात्रावासों में अपने चुनाव अभियान के दौरान संबोधन में मुकेश शुक्ला ने विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ एनएसयूआई द्वारा की गई वायदाखिलाफी का हवाला देते हुए कहा कि `अब वक्त आ गया है कि छात्र एनएसयूआई की अराजकता को विश्वविद्यालय परिसर उखाड़ फेंके।

Saturday, August 30, 2008

''पहल नीचे से ही करनी होगी, तभी इमारत मजबूत बनाई जा सकती हैं- नुपुर शर्मा''


अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की ओर से डूसू अध्यक्ष पद की उम्मीदवार ''नुपुर शर्मा'' के दिन भर के व्यस्त शिड्यूल से निपटने के बाद उमाशंकर मिश्र ने उनसे विभिन्न विषयों पर गहन चर्चा की। प्रस्तुत हैं इस बातचीत के प्रमुख अंश -

डूसू प्रत्याशियों से मिलने जब शाम को हम 6-महादेव रोड स्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के चुनाव कार्यालय पहुंचे तो अध्यक्ष पद की उम्मीदवार नुपुर शर्मा आगामी रणनीतियों को लेकर चल रही एक बैठक में मशगूल थीं। थोड़ी देर इंतजार करने के बाद जब हम उनसे मिलने गए तो बैठक ख़त्म हो चुकी थी, लेकिन उनकी व्यस्तता यथावत् बनी हुई थी। उनसे मुझे जब मिलवाया जाता है तो दिन भर की थकान के बावजूद भी एक औपचारिक मुस्कान नुपुर के चेहरे पर तैर जाती है और जैसे ही वे ''हैल्लो'' कहती हैं तो पता चलता है कि चुनाव अभियान में छात्रों के सवालों के जवाब देकर और उनके बीच अपनी बात को रखने के लिए लगातार भाषणों के सिलसिले के चलते उनका गला बैठ चुका था।

बातचीत शुरू होती है तो अपने दिन भर के अनुभवों के बारे में वे बताने लगती हैं और कहती हैं कि ''अभी तक जिस तरह से छात्रों ने उत्साहपूर्वक एबीवीपी को समर्थन दिया है, उससे हमें अच्छे परिणाम की अपेक्षा है।'' जब उनसे पूछा जाता है कि चुनाव प्रचार किस तरह से किया जा रहा है तो नुपुर बताती हैं कि ''सबसे पहले तो हम छात्रों से रूबरू होते हैं और उन्हें ये बताने की कोशिश करते हैं कि 'दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ' के लिए वे 'अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद्' के प्रत्याशियों को ही क्यों चुनकर भेजें। इसके लिए विद्यार्थी परिषद् की ओर से ग्लैमर और मनी एवं मसल पावर से अलग हटकर छात्रों के बुनियादी मुद्दों को आधार बनाया जा रहा है और अभाविप के मुद्दे जमीनी हकीकत से जुड़े हुए हैं।

आज दिल्ली विश्वविद्यालय को वैश्विक रंग में रंगने की तैयारियां की जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर कॉलेजों के टॉयलेट से लेकर पुस्तकालय, आंतरिक मूल्यांकन, यू स्पेशल, छात्रावासों का निर्माण इत्यादि की स्थिति अभी भी संतोषजनक नहीं है।

नुपुर कहती हैं कि यह बात काबिले-गौर है कि विगत छात्रसंघ प्रशासन की उपेक्षा से दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र त्रस्त हो चुके थे और इसी के चलते उन्होंने परिवर्तन का मन बना लिया है। बकौल नुपुर शर्मा 'इस बात की झलक छात्रों से बातचीत के दौरान देखने को मिल जाती है कि बुनियादी समस्याओं के लिए भी छात्रों को झूझना पड़ रहा है। आगे वे कहती हैं कि ''आज दिल्ली विश्वविद्यालय को वैश्विक रंग में रंगने की तैयारियां की जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर कॉलेजों के टॉयलेट से लेकर पुस्तकालय, आंतरिक मूल्यांकन, यू स्पेशल, छात्रावासों का निर्माण इत्यादि की स्थिति अभी भी संतोषजनक नहीं है। इस तरह के केन्द्रीय स्तर के विश्वविद्यालय में जहां विभिन्न स्रोतों से अनुदान मिल रहा हो, वहां यह सवाल ऐसे में उठना लाजमी है कि आख़िर यह पैसा कहां जा रहा है? इसलिए हम बेसिक मुद्दों को लेकर चल रहे हैं; क्योंकि हमारा मानना है कि पहल नीचे से ही करनी होगी, तभी इमारत मजबूत बनाई जा सकती है। दक्षिणी परिसर के कॉलेजों में बसों के न होने की समस्या को जोर शोर उठाते हुए नुपुर कहती हैं कि मेन रोड से अंदर कॉलेज तक पहुंचने में छात्रों को करीब एक से दो किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है, ऐसे में उनकी पूरी उर्जा पैदल चल कर कॉलेज पहुंचने में खर्च हो जाती है।

हॉस्टल की बात करते हुए कहती हैं कि मैं 5 साल से संगठन में हूं और यहां रहकर मैने अन्य प्रदेशों से आने वाले छात्रों की समस्याओं को करीब से देखा है, जिन्हें पर्याप्त हॉस्टल न होने के कारण पीजी में रहना पड़ता है। नुपुर कहती हैं कि यह नहीं भूलना चाहिए कि हरेक छात्र की पारिवारिक पृष्ठभूमि ऐसी नहीं होती कि वह पीजी में रहने का खर्च वहन कर सके। इसलिए हमने हॉस्टलों को संख्या बढ़ाने के लिए मुहिम छेड़ने का फैसला किया है, जिससे छात्रों के रहने की समस्या को समाप्त किया जा सके। दूसरी ओर ओलंपिक जिस तरह से ग्रामीण पृष्ठभूमि से जुड़े युवा मेडल जीत कर लाए हैं उससे आशा की किरण तो दिखाई देती है, लेकिन इस बात पर विचार करना होगा कि एक अरब की आबादी में क्या हम सिर्फ तीन मेडल जीतने की ही कूव्वत रखते हैं?'' बकौल नुपुर; हमें यह भी सोचना होगा कि विश्वविद्यालयी स्तर पर किस तरह की सुविधाएं खिलाड़ियों को मिल पा रही हैं। फिलहाल विद्यार्थी परिषद् ने खेलों का स्तर सुधारने को अपनी प्रतिबध्दताओं की सूची में शामिल कर लिया है, जिससे कि गांव-गांव में कुश्ती और दंगलों वाले इस देश को आत्मविश्वास से लबरेज युवाओं को भविष्य में इस तरह वर्षों तक धोबी पछाड़ न खानी पड़े।

नुपुर हिन्दू कॉलेज में रही हैं और फिलहाल वे लॉ-सेन्टर-1 की छात्रा हैं। वे बताती हैं कि ''लॉ स्टूडेंट होने के नाते मैंने कई जगह काम किया है, इसलिए अपने अनुभवों के आधार पर मैंने यह महसूस किया है कि तकनीक आधुनिक युग की आवश्यकता है और दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे संस्थान के छात्रों को अब तकनीक की दुनिया से जोड़ने का वक्त आ गया है। रामजस कॉलेज ने वायरलेस इंटरनेट का प्रयोग शुरु भी कर दिया है। नुपुर अपने छात्र जीवन के अनुभवों को आधार बताते हुए आगे कहती हैं कि न केवल रिसर्च बल्कि डाटा स्टोरेज एवं अध्ययन में भी कंप्यूटर एक अनिवार्य आवश्यकता बन चुका है। ऐसे में छात्रों को लैपटॉप पर अध्ययन करने को यदि मिल जाए तो निश्चित तौर पर इसके चमत्कारिक परिवर्तन देखने को मिलेंगे।

दिन भर की भागम-भाग के बावजूद भी ताजगी नुपुर के चेहरे पर बनी रहती है और बड़ी ही चुस्ती से वे सवालों के जवाब आत्मविश्वासपूर्ण लहजे में देती हैं। वे बताती हैं कि प्रचार के दौरान हम छात्रों के बीच जाकर उन्हें अपने बारे में बताते हैं और छात्र जब विस्तार से कुछ जानना चाहते हैं तो उसके बारे में भी बताकर उनको संतुष्ट करने का प्रयास किया जाता है। जब उनसे छात्र राजनीति में आने के बारे में सवाल पूछा जाता है तो वे कहती हैं कि ''हिन्दू कॉलेज में रहकर मैंने एक्टिविज्म को सीखा है, क्योंकि इस कॉलेज के छात्रों में सामाजिक एवं राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर भी न केवल चर्चा चलती रहती है, बल्कि उनको लेकर काम भी किया जाता है। इस तरह से नुपुर के एक्टिविज्म का सफर हिन्दू कॉलेज के कॉरीडोर से शुरु होकर डूसू के पायदन तक आ पहुंचता है और वे पूरे विश्वविद्यालय के हजारों छात्रों की अगुआ के रूप मे उभर कर सामने आती हैं। वे बताती हैं कि उन दिनों हमने जेसिका लाल मर्डर केस के आरोपियों को लेकर बरती जा रही पुलिसिया कोताही को लेकर आवाज उठाई थी। इसके लिए एक ग्रुप बनाकर ब्लाग पर इसके खिलाफ अभियान चलाया गया और ई-मेल के जरिये हमने करीब 5 हजार लोगों से जेसिका को न्याय दिलाने के लिए आगे आने की अपील की। नुपुर बताती हैं कि इस तरह के अभियानों का असर यह हुआ कि इससे सिर्फ कॉलेज के दोस्त ही नहीं; बल्कि स्कूल के पुराने दोस्तों को भी जब इन गतिविधियों के बारे में पता चला तो वे भी इसका हिस्सा बनने के लिए आने लगे।

एबीवीपी से जुड़ने के कारणों में नुपुर संगठन की विचारधारा और दृष्टिकोण को महत्व देती हैं। वे कहती हैं कि परिषद् छात्रों के सामाजिक, व्यैक्तिक और अकादमिक स्तर पर विकास की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए कार्य करती है। जबकि अन्य छात्र संगठनों में ऐसा नहीं है। नुपुर शर्मा एक लम्बी आह भरते हुए कहती हैं कि ''विद्यार्थी परिषद् में रहकर मैंने सीखा कि जिसे अन्य लोग छात्र राजनीति से जोड़कर देखते हैं, उसे परिषद् में एक्टिविज्म कहा जाता है। बस फिर क्या था, मेरे भीतर के एक्टिविस्ट को अब एक मंच मिल गया था। परिषद् ने भी मेरी क्षमताओं को परखकर दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों के प्रतिनिधि के तौर पर चुनने का फैसला किया।'' चुनाव में ग्लैमर को नुपुर महत्व नहीं देती। वे कहती हैं कि अपनी छाप छात्रों पर छोड़ने के लिए लीडरशिप क्वालिटी होना बेहद जरूरी है। इसके साथ साथ इंटीलेक्चुअल एवं बेहतर पर्सनैल्टी का होना भी आवश्यक है, जिससे कि वह दृढ़ता से छात्रों के हित की बात प्रशासन के समक्ष रख सके।

लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों को लेकर नुपुर की प्रतिक्रिया मिलीजुली है। वे कहती हैं कि इसके बहुत पहलुओं से तो चुनाव सुधारों को बल मिलता है, लेकिन कुछेक ऐसे पहलू भी हैं जो समझ से परे हैं। वे सवाल उठाते हुए कहती हैं कि 5 हजार रुपये खर्च की सीमा में रहकर 51 कॉलेजों में प्रचार करना आसान नहीं है। लेकिन हमने हार नहीं मानी है और इसी के चलते हम रिक्शे में बैठकर भी छात्रों तक पहुंच रहे हैं। हारे हुए उम्मीदवारों को दोबारा टिकट न दिया जाना एक जहां एक ओर अलोकतांत्रिक है, वहीं दूसरी ओर चुनाव लड़ने के लिए उपस्थिति की सीमा को बढ़ा देना भी सही नहीं कहा जा सकता है।

'छात्र राजनीति' या फिर नुपुर के शब्दों में कहें तो 'एक्टिविज्म' से हटकर मुख्यधारा की राजनीति में जाने की मंशा फिलहाल नुपुर की नहीं है। अभी वे और पढ़ना चाहती हैं। नुपुर को चाहे वह राजनीति हो, एक्टिविज्म या फिर पढ़ाई सभी स्तरों पर परिवार का पूरा सपोर्ट मिलता है। इसके लिए वे माता-पिता और ईश्वर को धन्यवाद देते हुए गर्दन हिलाकर फिर से वही औपचारिक मुस्कान बिखेरती हैं और मुझे भी धन्यवाद देते हुए बैग उठाकर चल पड़ती हैं।

सरकार की शह पर गुंडागर्दी को सहन नहीं किया जाएगा-एबीवीपी

दिनांक - 30 अगस्त 2008

प्रेस विज्ञप्ति


डूसू की स्वच्छ छवि व प्रभावी भूमिका के लिए एबीवीपी को जिताएं। यह आह्वान अभाविप की डूसू चुनाव में अध्यक्ष पद की उम्मीदवार नुपूर शर्मा ने आज जोरदार चुनाव प्रचार करते हुए छात्र-छात्राओं से किया। उन्होने कहा कि डूसू की गरिमा के लिए एबीवीपी के पूरे पैनल को जिताकर छात्रों से झूठे वायदे करने वाले संगठन को बाहर का रास्ता दिखायें। उन्होने कहा कि दयाल सिंह कॉलेज में मनोहर नागर द्वारा छात्रों पर चाकुओं से हमला करके दहशत का माहौल बनाने का प्रयास किया गया है, जो कि निंदनीय हैं।

एबीवीपी प्रत्याशियों ने अपने प्रचार में छात्रों से आह्वान किया कि वे विद्यार्थी परिषद की साल भर की सक्रियता के पक्ष व पिछले पांच वर्षों में एनएसयूआई की डूसू में विफलता के खिलाफ वोट दें।

परिषद प्रत्याशियों ने जहां छात्रों से सीधे जुड़े मुद्दों पर एनएसयूआई को घेरा वहीं राष्ट्रीय मुद्दों पर भी उन पर जमकर वार किया।

चुनाव प्रचार में अपनी बढ़त बनाते हुए विद्यार्थी परिषद के पैनल की अध्यक्ष उम्मीदवार नुपूर शर्मा व सह सचिव प्रत्याशी मुकेश शुक्ला ने विवेकानंद, श्यामलाल, जाकिर हुसैन, खालसा, तिब्बिया कॉलेज में छात्रों से समर्थन की अपील की. वहीं सचिव पद की उम्मीदवार अनुप्रिया यादव व उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार वासु रूख्खड़ ने शिवाजी, राजधानी, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, गुरू गोविंद सिंह व आईजीआई कॉलेज में छात्रों से संपर्क कर वोट मांगे।

अभाविप आज दयालसिंह कॉलेज में हुए घटनाक्रम की कड़ी निंदा करती है। साथ ही विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग करती है कि ऐसे सरेआम गुंडागर्दी करने वाले छात्र नेताओं पर कार्यवाही करें।

परिषद् विश्वविद्यालय प्रशासन को याद दिलाना चाहती है कि हाल ही में आर्ट्स फैकल्टी में छात्र चेतना रैली के नाम पर भी इन्हीं लोगों ने गुंडागर्दी व सरेआम हथियारों का प्रयोग अपने विरोधियों को घायल करने में उपयोग किया। परंतु ऐसा लगता है कि विश्वविद्यालय प्रशासन कांग्रेस सरकार के दबाव में आंखे मूंदे हुए है। परिषद् ऐसे गलत हथकंडों से चुनाव जीतने के किसी मंसूबे को पूरा नही होने देगी।

लड़ेंगे-जीतेंगे

सशक्‍त व जीवंत डूसू के लिए विद्यार्थी परिषद् के साथ चलें

डूसू़, स्‍टूडेंट्स के वेलफेयर के लिए है, यह मॉडलिंग एजेंसी नहीं है

Friday, August 29, 2008

Delhi Government Frightened on ABVP candidates Rising Popularity

Date- 29/8/2008
PRESS RELEASE


At the behest of Delhi Government, Delhi police filed a FIR against ABVP candidates to mentally torture the. FIR was registered on the pretext of pasting posters in the campus, which is against the “code of conduct” of DUS. Actually these posters were pasted by aspiring candidates as pre-election campaign it has no pertaining relationship with ongoing election campaig. The same exercised had done by NSUI candidates but Delhi Police didn’t register any case against NSUI candidates. According to Delhi Police this case was filed under the Bengal Act. It shows the government’s frustration towards the increasing the popularity of ABVP Candidates in recent DUSU Election.

Congress petty politics didn’t affect the ABVP campaign schedule, as our candidates campaigned in two groups. One group is comprised of Nupur Sharma (Presidential candidate) & Mukesh Shukla (Jt. Sec. Candidate) visit to Sradhananda, Aditi, and Delhi College of Engineering in the morning session and in the evening they went to colleges located in North Delhi during the campaigning, Nupur Sharma ABVP Presidential candidate addresses the gathering in which she strongly condemn & censure the congress government for mischievous act. According to Mukesh Shukla ABVP JT. Secretarial candidate, for the last few years DUSU is the dominated by the NSUI but they didn’t fulfill their promises and betrayed the student’s community.

On the other hand the other group comprised of Vasu Rukhar (Vice-Presidential candidate) & Anupriya Yadav (Sec. Candidate) visited to Satyawati, Laxmibai, SRCC, & Khalsa, Miranda college and some outer Delhi colleges. In the campaigning trail Secretarial candidate Anupriya Yadav vows to make Delhi University a safe & fear free campus.Vice–Presidential candidate Vasu Rukhar emphasized on infrastructure development.

अभाविप के उम्मीदवारों को परेशान करने में सत्ता का दुरूपयोग

दिनांक-29 अगस्त, 2008
प्रेस विज्ञप्ति

सरकार के दबाव में दिल्ली पुलिस ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के डूसू पैनल के उम्मीदवारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है। यह एफआईआर केवल परेशान करने की नीयत से किया गया है। इसमें जरा भी सच्चाई नही है। यह एफआईआर इस बात पर दर्ज किया गया है कि अभाविप ने आचारसंहिता का उल्लंघन पोस्टर चिपकाकर किया है जबकि वे पोस्टर पुराने थे और प्री-इलेक्शन कैम्पेन के दौरान लगाये गये थे। इसका वर्तमान चुनाव से कोई लेना देना नहीं है।

पुलिस का कहना है कि उसने बंगाल एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। इसी तरह के पोस्टर एनएसयूआई के लोगों ने चिपकाए थे लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। वस्तुत: अभाविप के सशक्त उम्मीदवारों को देखकर कांग्रेस की सरकार घबड़ा गयी है और उसने तिलमिलाकर प्रत्याशियों को परेशान करना शुरू कर दिया है। उन्हें विश्वास हो गया है कि उनके उम्मीदवार इस चुनावी रेस से बाहर हो चुके हैं, इसलिए उनके पास इसके सिवा कोई रास्ता नहीं है।

इन कांग्रेसी हथकंडों से बेफिक्र अभाविप के प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार के दौरान विभिन्न कॉलेजों में छात्रों को संबोधित किया। नूपुर शर्मा और मुकेश शुक्ला ने श्रध्दानंद, अदिति और दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग का दौरा सुबह में किया और शाम में उत्तरी दिल्ली के कॉलेजों का दौरा किया। अपने संबोधन में नूपूर शर्मा ने कहा कि कांग्रेस के सरकार की स्थिति खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे की तरह हो गई है। उसने हार स्वीकार ली है किन्तु पचा नहीं पा रही है इसलिए वह इस तरह की घटिया हरकत कर रही है। मुकेश शुक्ला ने कहा कि डूसू नेतृत्व ने जिस तरह की वादाखिलाफी छात्रों के साथ की है वह बेहद शर्मनाक है।

अनुप्रिया यादव और वासु रूख्खड़ ने आज सत्यवती, लक्ष्मीबाई, एसआरसीसी, मिरिण्डा हाउस, खालसा कॉलेज के साथ ही बाहरी दिल्ली के कॉलेजों का दौरा किया। अनुप्रिया यादव ने कहा कि वे भयमुक्त कैम्पस बनाने के लिए प्रतिबध्द हैं, जिसमें छात्राएं अपने को सुरक्षित महसूस कर सकें। वासु रूख्खड़ ने डूसू एनएसयूआई के पूर्व केन्द्रीय नेतृत्व से असंतोष व्यक्त करते हुए कहा है कि उसने कोई काम छात्र हित के लिए नहीं किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वे सबसे पहले इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर देंगे और छात्रावासों के निर्माण को प्राथमिकता देंगे।

विद्यार्थी परिषद् ने ब्लॉग के जरिये तेज किया डूसू चुनाव प्रचार

Thursday, August 28, 2008

लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों को मानते हुए एबीवीपी प्रत्याशियों ने किया रिक्शा में चुनाव-प्रचार

लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों को मानते हुए रिक्शा में चुनाव-प्रचार करते एबीवीपी प्रत्याशी

प्रेस विज्ञप्ति


विद्यार्थी परिषद् डूसू चुनाव अपने कैडर व कार्यकर्ताओं के मनोबल के दम पर लड़ेगी। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद डूसू चुनाव जीतने के लिए धनबल और बाहुबल का मुकाबला अपने कार्यकर्ताओं के मनोबल से करेगी। विद्यार्थी परिषद् दूसरे संगठनों की भांति केवल चुनाव लड़ने के लिए विश्वविद्यालय परिसर में नहीं है, अपितु परिषद् के कार्यकर्ता साल भर सक्रिय रहकर छात्रों के बीच कार्य करते हैं। इस वर्ष विद्यार्थी परिषद् ने पन्द्रह हजार नए छात्र-छात्राओं को परिषद् का सदस्य बनाया है।

विद्यार्थी परिषद् ने शैक्षणिक सत्र के प्रारंभ से ही छात्रों से संपर्क व प्री इलेक्शन कैम्पेन चलाकर छात्र-छात्राओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत बना ली है। विद्यार्थी परिषद् इस वर्ष के चुनाव में एनएसयूआई की चार वर्षों में डूसू की विफलता को मुख्य मुद्दा बनाएगी। विद्यार्थी परिषद् छात्रों के बीच डूसू जीतने के बाद छात्र हितों के लिए किये जाने वाले कार्यों को अपने घोषणा पत्र के माध्यम से छात्रों के बीच रखेगी।

चुनाव प्रचार अभियान के प्रथम दिन विद्यार्थी परिषद् के चारों प्रत्याशियों ने दो ग्रुप बनाकर चुनाव में अपनी ताकत झोंकी। जहां एक ओर अध्यक्ष पद की उम्मीदवार नूपूर शर्मा व संयुक्त सचिव मुकेश शुक्ला ने मोतीलाल, रामलाल आनंद, वेंकेटेश्वर व आत्माराम सनातन धर्म कॉलेज में चुनाव प्रचार कर छात्र-छात्राओं से विद्यार्थी परिषद् के पैनल के लिए वोट मांगे, वहीं दूसरी ओर सचिव पद की उम्मीदवार अनुप्रिया यादव व उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार वासु रूख्खड़ ने हिन्दू कॉलेज, रामजस, हंसराज, किरोड़ी मल कॉलेज व लॉ डिपार्टमेंट में विद्यार्थी परिषद् के पैनल के समर्थन में चुनाव प्रचार कर छात्र-छात्राओं से वोट की अपील की।

परिषद् के उम्मीदवारों ने बताया कि आज के अभियान में सभी महाविद्यालयों में विद्यार्थी परिषद् के पैनल का जोरदार स्वागत किया गया व विद्यार्थी परिषद् द्वारा उठाये गए मुद्दों का भी समर्थन किया गया। परिषद् की अध्यक्ष पद की उम्मीदवार नूपुर शर्मा ने बताया कि दोनों ग्रुप सायंकालीन सत्र में दयाल सिंह, पीजीडीएवी, एलसी-2, मोतीलाल, आत्माराम सनातन धर्म कॉलेज व रामजस, करोड़ीमल, हिन्दू कॉलेज व हंसराज कॉलेज के छात्रावासों में भी संपर्क कर अपने पैनल के लिए वोट मागेंगे।

विद्यार्थी परिषद् ने ब्लॉग के माध्यम से चुनाव-प्रचार तेज किया

दिनांक- 28.08.2008
प्रकाशनार्थ

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव-प्रचार के मद्देनजर छात्रों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए ब्लॉग का सहारा लिया है।

आधुनिकीकरण व तकनीकी युग के इस दौर में विद्यार्थी परिषद् ने आज दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव-प्रचार में गति लाने को लेकर ब्लॉग का शुभारंभ किया, जिसका यूआरएल है- http://www.abvpdusu.blogspot.com । इस साइट पर जहां विद्यार्थी परिषद की विचारधारा व उपलब्धियां प्रस्तुत की गई हैं, वहीं प्रतिदिन डूसू चुनाव-प्रचार से संबंधित फोटो गैलरी, समाचार-पत्रों की कतरनें की छाया-प्रति, प्रेस आमंत्रण, प्रेस-विज्ञप्ति अपलोड किए जायेंगे। इस साइट की यह विशेषता है कि अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी में भी सामग्री प्रस्तुत की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि एक ओर जहां विद्यार्थी परिषद अपने परंपरागत चुनाव-अभियान के तहत विश्वविद्यालय परिसर, कॉलेजों, हॉस्टलों व घरों में जाकर छात्रों से प्रत्यक्षत: संपर्क कर रही है, वहीं कम समय व कम खर्च में लाखों छात्रों तक पहुंचने के लिए ब्लॉग तथा सोशल नेटवर्किंग साइट का सहारा ले रही है।

परिवर्तन के लिए छात्र

जैसा कि सर्वविदित है कि डूसू चुनावों की उद्धोषणा हो चुकी है और इसके लिए आप आने वाली 5 सितम्बर को अपने मताधिकार का प्रयोग करने वाले है। आप अपने बहुमूल्य मताधिकार का प्रयोग करें, इसके पूर्व आपको प्रमुख छात्र संगठनों की पिछले एक वर्ष की गतिविधियों का मूल्यांकन अवश्य करना चाहिए। हम मूल्यांकन की दृष्टि से कुछ तथ्य आपके सामने रखने जा रहे हैं जिन पर दृष्टिपात करने के पश्चात् आप अपना निर्णय सहजता से ले सकेंगे।

  • गत दिनों पूरे देश भर में अनेक घटनाएं-दुर्घटनाएं घटीं, जिस पर डूसू चुनावों में चारों सीटों पर जीत दर्ज करनेवाली एन.एस.यू.आई. बड़ी बेशर्मी से चुप रही।
  • कमरतोड़ महंगाई, आतंकवाद, सांसदों की खरीद-फरोख्त तथा विश्वविद्यालय में हुई गड़बड़ियों पर एन.एस.यू.आई. के प्रतिनिधि मौन धारण किए रहे।
  • हॉस्टलों के आवंटन में पक्षपात, एम.फिल. और पीएच.डी. की छात्रवृत्तियां रोकने, इतिहास की पुस्तकों में हिन्दू देवी-देवताओं के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां करने के मुद्दे पर डूसू के चारों पदाधिकारियों ने बोलना जरूरी नहीं समझा।
  • एन.एस.यू.आई. के प्रतिनिधियों का यह आचरण नया नहीं है। पिछले वर्ष भी एन.एस.यू.आई. के प्रतिनिधि जीतने के बाद छात्रों की समस्याएं सुलझाने की बजाय अपने स्वार्थ पूरे करने में लगे रहे। इनकी नाकामियों और नाकारापन से ऊबकर साऊथ कैंपस में इनके विरूध्द अविश्वास प्र्रस्ताव भी पारित किया गया था।

छात्रों की समस्याएं यथावत् है-

  • डी.टी.सी. के पासों को ब्लू-लाइन में मान्यता नहीं दी जा रही है।
  • छात्रों को मेट्रो में रियायती पास नहीं मिल पाया है, जिस कारण दूर-दराज से आनेवाले छात्रों को कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
  • हॉस्टलों का आवंटन अपने कृपापात्रों को मनमाने तरीके से कर सही हकदारों को वंचित रखा जाता है, जिस कारण छात्र-छात्राओं को निजी आवासों में पेईंग गेस्ट के नाते रहने के दौरान काफी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है।
  • निजी शिक्षण संस्थाओं में मनमाने तरीके से फीस वृध्दि के कारण शिक्षा गरीब छात्रों की पहुंच से बाहर होती जा रही है।
  • छात्रों की इन समस्याओं के विरूध्द एन.एस.यू.आई. द्वारा आवाज नहीं उठाना, छात्रों के प्रति इनकी गैर जिम्मेदारी को दर्शाता है।
  • दूसरी ओर विद्यार्थी परिषद् आपके साथ हमेशा रही है और आम छात्रों से जुड़े मुद्दों को लेकर विद्यार्थी परिषद ने हमेशा संघर्ष किया है।
  • जिन सारे मुद्दों को उठा पाने में एन.एस.यू.आई. नाकाम रही, वे विद्यार्थी परिषद की कार्यसूची में सबसे ऊपर है।
  • भारतीय संस्कृति के अपमानजनक लेखन के विरूध्द विद्यार्थी परिषद ने आवाज उठाई, जिसके लिए विद्यार्थी परिषद के कई कार्यकर्ता जेल भी गए।
  • निजी मकान मालिकों व प्रापर्टी डीलरों की मनमानी के विरूध्द भी विद्यार्थी परिषद ने जून में प्रदर्शन किया और उन्हें चेतावनी दी।
  • हॉस्टल आवंटन में घपले के खिलाफ भी विद्यार्थी परिषद ने संघर्ष किया है और विश्वविद्यालय प्रशासन पर दवाब डाला है।
  • दिल्ली विश्वविद्यालय भारत का प्रमुख विश्वविद्यालय है और यहां का शैक्षणिक स्तर भी काफी ऊंचा है। यहां का माहौल भी स्तरीय है। इसलिए यहां के छात्र प्रतिनिधियों से अपेक्षा की जाती है कि वे देश में घट रही घटनाओं और जनहित से जुड़े मुद्दों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें।
  • महंगाई ने आज आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी है। देश के विभिन्न भागों में आतंकवादी घटनाओं में सैकड़ों लोग मारे गए। केन्द्र सरकार की घुटनाटेक नीति के कारण आज देशद्रोही और अलगाववादी देश पर हावी होते जा रहे हैं, जिसके चलते श्रीअमरनाथ श्राईन बोर्ड को आवंटित भूमि सरकार द्वारा रद्द किया गया। ऐसे सैकड़ों मुद्दों के खिलाफ आवाज उठाना तो दूर एन.एस.यू.आई. ने इस सब के लिए निंदा करना भी जरूरी नहीं समझा।
  • सच तो यह है कि जीत हासिल करने के बाद एन.एस.यू.आई. के प्रतिनिधियों ने छात्र-हितों के साथ हमेशा दगा किया है। छात्रों की जायज मांगों को उठाने के बजाय ये लोग अपने निजी स्वार्थ साधने में लग जाते हैं। पैसा, पैरवी और चापलूसी से एन.एस.यू.आई. का टिकट पाकर इन लोगों ने डूसू चुनाव को निगम पार्षद और विधायक बनने का प्लेटफार्म बना दिया है। इस गंदगी से विश्वविद्यालय परिसर को मुक्त करने की जरूरत है। इसलिए आइए, हम सब मिलकर उसे चुनें जो छात्रों के मुद्दे निर्भीकता और निस्वार्थ भाव से उठा सके।

इस परिर्वन के अभियान में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र सहभागी बनें।

डूसू छात्रों की समस्याएं उठाने और उनका समाधान निकालने का एक सशक्त माध्यम है। आइए, हम सब मिलकर इसको और सशक्त बनाएं.............

Wednesday, August 27, 2008

Press Invitation

You are cordially invited to the Press Conference of the ABVP where in we would be introducing our candidates for DUSU election- 2008.

Kindly honour us with your presence.

Venue - 6 Mahadeva Road
New Delhi-110001

Date - 28/08/08
Time - 4:00pm

Media Coordinators
1. Shri Atif Rasheed - 9212515270 / 9899424848
2. Shri Sreenivas - 9250486011
3. Kum. Niharika Sharma - 9210686827
4. Shri Rajeev Ranjan - 9910453452

ABVP Candidates for DUSU -2008: Profile

Nupur Sharma -President

  • Student of L.L.B. 2nd year D.U.
  • Member of the student Council, Economics Department
  • Member of Organising Committee, all india Summit Hindu College.
  • Volunteered in the People for Animals.
  • Associate Member, Students for Promotion of international Law(SPIL), Delhi Chapter.
  • Active Member of the Environment Council.
  • Participated in various Debates.ABVP Activist.

Vasu Rukhar- Vice President

  • Satyawati Evening College Pass out – B.A. Programme
  • Student of M.A. Bhuddhasim-1st year.
  • Satywati College Students Union President Consecutively for two years.
  • ABVP Senior Activist.

Anupriya Yadav- Secretary

  • Student fo KMC College 1st Year(Poltical Science).
  • ABVP Activist

Mukest Shukla Joint Secretary

  • Student of Shaheed Bhagat Singh College Pass out- BCom.
  • Student of MA Bhuddhasim – 1st Year.
  • Student Union- Central Councellor- Shaheed Bhagat Singh College
  • ABVP Activist

विद्यार्थी परिषद् ने की उम्मीदवारों की घोषणा

आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने डूसू चुनाव के नामांकन प्रक्रिया के खत्म होने के बाद पूरे जोश-खरोश व भारी मात्रा में कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में अपने उम्मीदवारों की घोषणा डीयू परिसर में की। विद्यार्थी परिषद अपने मुद्दों को छात्र-हित में ध्यान में रखते हुए पूरे विश्वविद्यालय व राष्ट्रीय स्तर पर एक नया व वैचारिक परिवर्तन करने का प्रयास करेगी।

घोषणा की सूची निम्न प्रकार से है-
अध्यक्ष - नूपूर शर्मा ( 9810519881, 9311040411)
उपाध्यक्ष
- वासु रूख्खर (9210322008)
सचिव
- अनुप्रिया यादव (9999611060, 9212799449)
सह सचिव - मुकेश शुक्ला (9211675649)

सधन्यवाद
(निहारिका शर्मा)
प्रदेश मंत्री

DUSU Elections 2008- ABVP Declares Candidates

New Delhi ,27/08/2008 : Declaration of ABVP Candidates

President : Nupur Sharma
Vice President :
Vasu Rukhar
Secretary : Anupriya Yadav

Joint Secretary : Mukesh Shukla

About Us

The ABVP was started soon after independence with the objective of channelising students' energies in the task of national reconstruction by a group of students and teachers who drew their inspiration from the RSS, the premier nationalist organisation of the country. Its growth process was slow and sporadic in the first few years but it picked up after Prof. Yeshwantrao Kelkar, a lecturer in Bombay, became its main organiser in 1958. He was its real architect and builder. As a consequence of singe-minded devotion of Prof. Kelkar, who passionately tried to build up this organisation till his death in 1987, the ABVP is what it is today.

The uniqueness of the Parishad lies in the fact that it has emerged as a stable organisation of floating population of students. Perhaps no social organisation has its members changing so quickly and regularly as the ABVP has. Despite this handicap, the ABVP has gained strength day by day. In all probability, the ABVP is the only example of its type throughout the world. Another unique feature of the oraganisation is that though it is a student organisation in every respect, the teachers also take an active part in its functioning. Ever since its inception teachers have been deeply involved in building up the organisation and they comprise the permanent component of the membership.
What distinguishes the ABVP from other organisations is the fact that it is a full-fledged and regular student organisation which has evolved a distinct
philosophy and role for a student organisation and which organises multifarious activities to fulfill its objective of national reconstruction.
So far as ABVP's contribution in the national life is concerned it can be said with pride that apart from organising a lot of constructive and meaningful activities and helping to solve the problems related to student and educational field, the Parishad has played an important role in highlighting and solving larger problems of the country. The thoughts and ideals of the ABVP on educational change can prove as valuable assets for any educational ministry or department. Be it the issue of terrorism in Kashmir or of infiltration of foreigners into Assam and border states, or the issue of reservation and Mandal recommendations or the gigantic task of integrating north-eastern citizens with those of the other parts of the country or the problem of unemployment and economic reconstruction of the country or the fight against social inequalities or the calamity of earthquake in Marathwada, the ABVP has never been found wanting both on the plains of thinking and action. The ABVP today has a cadre of socially committed workers who are capable of undertaking any challenging task.

The coming days would witness a more active, meaningful and effective participation by the ABVP in the task of national reconstruction and the country and its citizens would feel proud of such a role of the ABVP.