Saturday, September 13, 2008

Saturday, September 6, 2008

डूसू अध्यक्ष पद पर विद्यार्थी परिषद् का कब्जा


<नव निर्वाचित डूसू अध्यक्ष नुपुर शर्मा

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में विद्यार्थी परिषद् ने लहराया परचम

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) के चुनावों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) की धनबल और ग्लैमर की राजनीति को कड़ी शिकस्त देते हुए पांच वर्षों के अंतराल के बाद अध्यक्ष पद पर कब्जा जमा लिया। विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की ओर से अध्यक्ष पद की प्रत्याशी नूपुर शर्मा ने भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) की सोनिया सपरा को 1739 वोटों से परास्त कर डूसू अध्यक्ष पद पर विजय हासिल की। नूपुर शर्मा को 10,345 मत मिले। वहीं उपाध्यक्ष, सचिव और सह सचिव पद पर एनएसयूआई के प्रत्याशी विजयी हुए।

अपनी जीत को राष्ट्रवादी विचारधारा और विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं की जीत बताते हुए नूपुर शर्मा ने कहा कि वह छात्रहित से जुड़े सभी मुद्दों पर गंभीरता से काम करेंगी। साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले सालों में डूसू में जो घोटाले हुए हैं, उसकी भी वे जांच कराएंगी। उन्होंने कहा कि बाहर से आने वाले छात्र-छात्राओं के लिए छात्रावास के निर्माण पर डूसू पूरा जोर लगाएगा। उन्होंने कहा कि कॉलेज व फैकल्टी में साफ-सफाई की बेहतर व्यवस्था कराई जाएगी। छात्रहित में जो वादे और पांच सालों में जो काम नहीं हुए हैं, उन्हें पूरा कराया जाएगा।

डूसू अध्यक्ष पद पर विद्यार्थी परिषद कार्यकर्ता की जीत को महत्वपूर्ण बताते हुए प्रदेष भाजपा अध्यक्ष डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि युवा परिवर्तन के मूड में है। कार्पोरेशन फिर कैंट और अब डूसू अध्यक्ष की जीत उत्साहवर्धक है। कांग्रेस सत्ता का दुरुपयोग और करोड़ों खर्च करने के बाद भी डूसू अध्यक्ष पद नहीं हासिल कर सकी। कांग्रेस के खूबसूरत चेहरे की राजनीति भी छात्र-युवाओं ने नकार दी।

Friday, September 5, 2008

विजय का पर्व! - अटल बिहारी वाजपेयी


हम अपना मस्तक
आत्मगौरव के साथ
तनिक ऊँचा उठाकर देखें
विश्व के गगन मंडल पर
हमारी कलित कीर्ति के
असंख्य दीपक जल रहे हैं।

युगों के बज्र कठोर हृदय पर
हमारी विजय के स्तम्भ अंकित हैं।
अनंत भूतकाल
हमारी दिव्य विभा से अंकित हैं।


भावी की अगणित घड़ियाँ
हमारी विजयमाला की
लड़ियाँ बनने की
प्रतीक्षा में मौन खड़ी हैं।

हमारी विश्वविदित विजयों का इतिहास
अधर्म पर धर्म की जयगाथाओं से बना है।
हमारे राष्ट्र जीवन की कहानी
विशुद्ध राष्ट्रीयता की कहानी है।

Thursday, September 4, 2008

गुरुः साक्षात् परब्रह्म


शिक्षा का तात्पर्य, लोगों में आत्मसात करने, ग्रहण करने व रचनात्मक कार्य करने की क्षमता का विकास करना हैं.-
-डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
भूतपूर्व राष्ट्रपति

शिक्षक दिवस (5 सितम्बर) पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की ओर से दिल्ली विश्वविद्यालय के सभी छात्रों को हार्दिक शुभकामनाएं.

PRESS RELEASE

Date- September 04, 2008


Today ABVP DUSU JT SEC. Candidate MUKESH SHUKLA has demanded the Cancellation of nominations of NSUI candidates from DUSU based on string operation shown on STAR TV this evening.

In a written complaint to DUSU election officer Gurmeet singh ABVP Candidate said that it is clearly shown on the Star TV that rs 10 lakh is spend in last 4 days at Fun and Food village and rs 2.5 lakh spend on AC buses and refreshment for these students.Since this all is shown and NSUI DUSU candidate ASHISH GAHLOT is shown clearly on TV screen and also he has addimited that NSUI is busy in buying votes like this there is no reason left and Chief election officer should cancel the nomination of NSUI candidates to make clean campus and to make fair DUSU elections.


(MUKESH SHUKLA)
DUSU JT SEC. Candidate

Demand of cancellation of NSUI candidates Nomination based on Star TV report today evening

Respected Gurmeet Singh ji
Chief Election Officer
DUSU


SUB: Demand of cancellation of NSUI candidates Nomination based on Star TV report today evening

Dear Sir,
As entire nation has seen the string operation on STAR NEWS this evening and it is clearly shown that NSUI is spending huge money on DUSU election and Rs Ten lakh spend only in Fun and Food village in last 4 days this is shown with prove on TV .and Rs 2.5 lakh spend on Ac buses to bring these students to the venue.

It was also shown that they were trying to buy the votes and even there joint secretary candidate ASHISH GEHLOT is shown on the screen Cleary doing the same. NSUI candidate has said that they are buying the votes like this every where this year, Now since every thing is clear with this string operation you are requested to act and perform your duty by cancelling the nomination of NSUI candidates immediately.


Regards


(Mukesh Shukla)
DUSU Jt. Sec Candidate
दिनांक-04 सितम्बर,2008

प्रेस विज्ञप्ति

अभाविप ने की एनएसयूआई के चारों प्रत्याशियों के नामाकंन रद्द करने की मांग

स्टार न्यूज चैनल के स्टिंग ऑपरेशन द्वारा एनएसयूआई के काले सच व असली चेहरे को पूरे देश के सामने उजागर करने के बाद एबीवीपी ने मुख्य चुनाव अधिकारी डॉ गुरमीत सिंह से एनएसयूआई के चारों प्रत्याशियों के नामांकन रद्द करने की मांग की है।

विद्यार्थी परिषद का आरोप है कि एनएसयूआई पिछले चार वर्षों से लगातार छात्रों को शराब पार्टी व अन्य लालच देकर बरगला कर वोट हथियाती रही है और इस वर्ष अपनी निश्चित हार से बौखला कर ओछे हथकंडों पर उतर आई है जिसका ताजा उदाहरण आज स्टार न्यूज चैनल पर फन एण्ड फूड में दिखाया गया स्टिंग ऑपरेशन है।

विद्यार्थी परिषद ने एनएसयूआई द्वारा इन पार्टियों पर 10 लाख रूपए बर्बाद किये जाने, लग्जिरियस बसों व वाहनों पर ढाई लाख रूपये खर्च किये जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि यह चुनाव आचारसंहिता का सरेआम उल्लंघन है। एनएसयूआई ने अपनी पुरानी आदतों को दोहराते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति को शर्मसार किया है। विद्यार्थी परिषद दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र समुदाय से अपील करती है कि छात्रसंघ चुनाव के दिन अपने लोकतान्त्रिक अधिकार का सदुपयोग करते हुये दिल्ली विश्वविद्यालय को कलंकित करने वाले एनएसयूआई के डूसू प्रत्याशियों को सबक सिखायें।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने एक टीवी चैनल पर दिखाये गये स्टिंग ऑपरेशन को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के मुख्य चुनाव अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर एनएसयूआई के चारों प्रत्याशियों के नामांकन रद्द करने की मांग की है।


(मुकेश शुक्ला)
प्रत्याशी, सह सचिव
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) के मुख्य चुनाव अधिकारी से शिकायत

दिनांक- 04 सितम्बर, 2008

सेवा में
श्रीमान मुख्य चुनाव अधिकारी
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू)
दिल्ली विश्वविद्यालय



विषय : टीवी चैनल पर दिखाए गये स्टिंग ऑपरेशन के बाद एनएसयूआई के चारों प्रत्याशियों के नामांकन रद्द करने हेतु।

श्रीमान जी,
जैसा कि आपको विदित है कि 5 सितम्बर को दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) के चुनाव हो रहे है। अभाविप छात्रसंघ चुनाव की निष्पक्षता व विश्वसनीयता के लिये सदैव मांग करती रही है पूर्व में भी अभाविप ने चुनाव में एनएसयूआई की धांधली की जानकारी समय-समय पर दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन को दी है।

महोदय आज स्टार न्यूज चैनल के स्टिंग ऑपरेशन ने एनएसयूआई के काले सच व असली चहेरे को पूरे देश के सामने उजागर कर दिया है। एक बार फिर दिल्ली विश्वविद्यालय व छात्रसंघ (डूसू) की प्रतिष्ठा को कंलकित किया गया। एनएसयूआई द्वारा लालच व शराब पार्टी द्वारा भोलेभाले छात्र छा़त्राओं को भटका कर वोट हथियाना उसकी पुरानी ओछी राजनीति रही है।

स्टिंग ऑपरेशन में दिखाया गया है कि गत 4 दिनों से इन पार्टियों पर 10 लाख रूपए बर्बाद किये गये व साथ ही पार्टी में विद्यार्थियों को लाने ले जाने वाली लग्जीरियस बसों व वाहनों पर ढाई लाख रूपये खर्च किये गये, जो कि चुनाव आचारसंहिता का सरेआम उल्लंघन है। टीवी स्क्रीन पर एनएसयूआई के सह सचिव पद के उम्मीदवार आशीष गहलोत को बार-बार गोल दायरे में दिखाया जाना पर्याप्त सबूत है कि यह पार्टी एनएसयूआई के उम्मीदवारों को वोट देने के लिये छात्रों को खरीदने का माध्यम थी।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद आप से मांग करती है कि अपने पद की गरिमा निभाते हुये व विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को बचाने के लिये तुरन्त प्रभाव से कार्यवाही करते हुये एनएसयूआई के चारों प्रत्याशियों के नामांकन रद्द किये जावें।


(मुकेश शुक्ला)
प्रत्याशी, सह सचिव
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ

विद्यार्थी परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने फूंका कार्यकर्ताओं के बीच डूसू विजय मंत्र

दिनांक- 04 सितम्बर, 2008

प्रेस-विज्ञप्ति

अभाविप ने डूसू की जीत के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकते हुए अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दिया। डूसू में जीत सुनिश्चित करने के लिए विद्यार्थी परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ रामनरेश सिंह ने दिल्ली पहुंचकर कार्यकर्ताओं का उत्साहवर्धन किया। उन्होंने कहा कि देश की वर्तमान परिस्थिति में पूरा देश परिवर्तन चाहता है और दिल्ली विश्वविद्यालय का छात्र 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस पर इस परिवर्तन का आगाज करेगा।

विद्यार्थी परिषद् ने जहां नार्थ परिसर में विजय संकल्प रैली निकालकर अपने समर्थकों का मनोबल बढ़ाया वहीं चुनाव कार्यालय पर सैकड़ों कार्यकर्ताओं की बैठक कर जीत का संकल्प दोहराया।

विद्यार्थी परिषद् के क्षेत्रिय संगठन मंत्री सुनील बंसल ने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि 5 सितम्बर को एक-एक वोट की लड़ाई अपने-अपने महाविद्यालय में लड़कर ही हम डूसू में अपने चारों प्रत्याशियों को जीत दिला सकते हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय के सभी 51 कॉलेजों की रूपरेखा तैयार कर कार्यकर्ताओं को जिम्मेवारी सौंपी गई है। विद्यार्थी परिषद् के उम्मीदवारों ने नॉर्थ कैंपस में रैली कर अपने पैनल के पक्ष में वोट मांगे। अध्यक्ष पद की प्रत्याशी नूपुर शर्मा ने छात्रों से आह्वान किया कि वे अपने मत का प्रयोग अवश्य करें। उन्होंने अपील की कि वोट डालने से पहले छात्र सोच समझकर निर्णय लें।

विद्यार्थी परिषद् की सचिव पद की उम्मीदवार अनुप्रिया यादव ने अपने तूफानी चुनाव प्रचार में छात्रों से परिवर्तन के लिए विद्यार्थी परिषद के लिए वोट मोंगे। उपाध्यक्ष पद के प्रत्याशी वासु रूक्खड़ व सह सचिव मुकेश शुक्ला ने छात्रों को आश्वासन दिलाया कि विद्यार्थी परिषद डूसू जीतने के बाद छात्रों के मत रूपी कर्ज को सूद समेत चुकाएगी।

Wednesday, September 3, 2008

विजय ही विजय है



अभाविप ने बताया एनएसयूआई के घोषणापत्र को झूठ का पुलिंदा

दिनांक- 03-09-2008

प्रेस विज्ञप्ति

अभाविप ने एनएसयूआई के घोषणा पत्र को झूठ का पुलिंदा बताया है। साथ में यह भी जोड़ा की कि अध्यक्ष पद की उम्मीदवार की तरह घोषणा पत्र भी डम्मी है। ऐसा लगता है कि जैसे पुरानी मिठाई को फिर से चासनी चढ़ाई गई है। अभाविप अध्यक्ष पद की उम्मीदवार नूपुर शर्मा ने कहा कि इस बार दिल्ली विश्वविद्यालय का छात्र झांसे में नहीं आने वाला है। उन्होंने कहा कि अब छात्रों ने तय कर लिया है कि वे इस बार डूसू में परिवर्तन लाकर विद्यार्थी परिषद् के पैनल को मौका देंगे। उन्होने आरोप लगाया कि एनएसयूआई अपनी संभावित हार से बौखलाकर प्रशासन के सहयोग से अनुचित हथकंडों से परिषद कार्यकर्ताओं को चुनाव प्रचार के समय परेशान कर रहे हैं और परिषद् द्वारा लगाए गए हैंडमेड पोस्टर को ´डेमोक्रेसी वाल´ से फाड़ा जा रहा है।

विद्यार्थी परिषद् के पैनल के चारों उम्मीदवारों ने अपने चुनाव-प्रचार को तेज करते हुए अलग-अलग चुनाव अभियान चलाकर अपने घोषणापत्र के मुद्दों व योग्य उम्मीदवारों के नाम पर वोट मांगे। इस कड़ी के अंतर्गत अध्यक्ष प्रत्याशी नूपुर शर्मा ने सत्यवती, लक्ष्मीबाई, श्रद्धानंद, लॉ कॉलेज में प्रचार-प्रसार किया तथा उपाध्यक्ष पद के प्रत्याशी वासु रूक्खड़ ने सीएलसी, सत्यवती, श्रद्धानंद, राजधानी व साउथ कैंपस में छात्रों से संपर्क किया एवं इसी प्रकार सचिव पद की प्रत्याशी अनुप्रिया यादव व सह सचिव पद के प्रत्याशी मुकेश शुक्ला ने श्रद्धानंद, वेंक्की और रामजस जैसे कॉलेजों में अपने लिए वोट समर्थन मांगा।

Tuesday, September 2, 2008

इस बार डूसू में परिषद् का परचम लहराएगा: मुकेश शुक्ला


दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की ओर से सह सचिव पद के प्रत्याशी मुकेश शुक्ला एक जुझारू छात्र नेता रूप में जाने जाते है। वे गत कई वर्षों से विद्यार्थी परिषद से जुड़े हैं। स्वामी विवेकानंद और शिवाजी को अपना आदर्श मानते है। शहीद भगत सिंह कॉलेज छात्र संघ में केन्द्रीय पार्षद रहे मुकेश शुक्ला से डूसू चुनाव-प्रचार के दौरान संजीव कुमार सिन्हा ने अनेक मुद्दों पर बातचीत की। प्रस्तुत है मुख्य अंश-

•विद्यार्थी परिषद् के संपर्क में कैसे आए?
-मेरे पिताजी पिछले 32 साल से राष्ट्रवादी संगठनों से जुड़े है। इस कारण, बचपन से ही विद्यार्थी परिषद् के बारे में सुनता रहता था। मैं जब 11वीं कक्षा में था तभी विद्यार्थी परिषद् में सक्रियता से जुड़ा। उन दिनों साऊथ कैम्पस में परिषद की ओर से प्रवेश सूचना केन्द्र लगे थे, इसमें मैंने सक्रिय सहभागिता की।

•विद्यार्थी परिषद् ने आपको क्यों आकृष्ट किया?
-वास्तव में विद्यार्थी परिषद् एक रचनात्मक आंदोलन है। एक राष्ट्रवादी छात्र आंदोलन के नाते इसकी अपनी विशिष्ट पहचान है। विद्यार्थी परिषद् एक ऐसा संगठन है जो शैक्षिक समस्याओं से लेकर राष्ट्रीय समस्याओं तक सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों पर संघर्ष छेड़ती है। इसलिए ऐसे छात्र संगठन से जुड़ना गर्व की बात है।

एनएसयूआई केवल डूसू चुनाव के समय ही दिखती है जबकि हम 365 दिन कैम्पस में सक्रिय रहते है। प्रचार के दौरान विद्यार्थी परिषद् के पूरे पैनल को बड़ी संख्या में छात्रों का समर्थन मिल रहा है। हमें पूरा विश्वास है इस बार डूसू में परिषद् का परचम अवश्य लहराएगा।
•दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव में विद्यार्थी परिषद् की ओर से आप सह सचिव के प्रत्याशी है। किन मुद्दों को लेकर आप छात्रों के बीच जा रहे है?
-दिल्ली विश्वविद्यालय देश का प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय है। लेकिन यह दुर्भाग्य का विषय है कि वर्तमान में यहां अराजकता चरम पर है। मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। कक्षाओं में ब्लैकबोर्ड तक की बुरी हालत है। कई कॉलेजों में तो स्वच्छ पेयजल तक उपलब्ध नहीं है। अच्छे स्पोट्र्स ग्राऊंड नहीं है। विश्वविद्यालय परिसर में छात्राओं के साथ दुव्र्यवहार की घटनाएं लगातार बढ़ रही है। इसके साथ ही मेट्रो रेल में छात्रों को रियायती पास मिले, सुरक्षित परिसर को लेकर ठोस योजनाएं बने आदि मुद्दों को लेकर हम छात्रों तक पहुंच रहे है। इसके अलावा राष्ट्रीय मुद्दों- संसद पर हमले के आरोपी अफजल को फांसी मिले और श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के साथ हो रहे भेदभाव, को भी हम मुद्दा बना रहे है।

•छात्र संघ चुनावों के संबंध में लिंग्दोह कमेटी के सिफारिश को आप किस रूप में देखते है?
-लिंग्दोह कमेटी की कई बातें रूढ़िवादिता से प्रेरित है। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ, जिससे 51 कॉलेज संबद्ध है और जो दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में फैला है, वहां तक पहुंच पाना, चुनाव-प्रचार करना यह कमेटी द्वारा तय पांच हजार रुपए में संभव होना मुश्किल दिख पड़ता है। इसके बावजूद भी हम लिंग्दोह कमेटी की सिफारिशों का उल्लंघन नहीं कर रहे है। लेकिन यथार्थ को ध्यान में रखकर कमिटी की सिफारिशें सामने आती तो छात्र आंदोलन के लिए बेहतर होता।

•डूसू चुनाव में ग्लैमर और धनबल का जोर रहता है। ऐसे में सही छात्र नेतृत्व उभरकर सामने नहीं आ पाता है। क्या यह उचित है?
-गत पांच सालों से डूसू पर एनएसयूआई काबिज है। इन्हें छात्र हितों से कोई लेना नहीं है। यह चिंता का विषय है कि राष्ट्रीय छात्र आंदोलन का अगुवाई करनेवाला डूसू आज धनबल और बाहुबल के गिरफ्त में फंसा हुआ है। एनएसयूआई ने डूसू को मॉडलिंग एजेंसी बना दिया है। इन चुनौतियों के खिलाफ हमारा संघर्ष जारी है। जहां तक विद्यार्थी परिषद् की बात है हम ग्लैमर और धनबल की राजनीति को नकारते है।

•चुनाव-प्रचार के दौरान कॉलेजों में छात्रों की ओर से आपको कैसा प्रतिसाद मिल रहा है?
-दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र एनएसयूआई की कारस्तानियों से त्रस्त है। आम छात्रों के साथ-साथ उनके कैडर भी उनसे नाराज है। गत पांच वर्षों से डूसू पर काबिज होने के बाद भी छात्र हित में उन्होंने कोई कदम नहीं उठाए, केवल अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने में लगे रहे। एनएसयूआई को लेकर छात्रों में आक्रोश व्याप्त है। छात्र अपने को ठगा सा महसूस कर रहे है। हमें इसका फायदा मिल रहा है। एनएसयूआई केवल डूसू चुनाव के समय ही दिखती है जबकि हम 365 दिन कैम्पस में सक्रिय रहते है। प्रचार के दौरान विद्यार्थी परिषद् के पूरे पैनल को बड़ी संख्या में छात्रों का समर्थन मिल रहा है। हमें पूरा विश्वास है इस बार डूसू में परिषद् का परचम अवश्य लहराएगा।

ख़बरों में विद्यार्थी परिषद् का ब्लॉग

साभार- दैनिक जागरण- 1 सितम्बर, 2008

Courtesy - Indian Express - September 1, 2008

FORMER DUSU PRESIDENT MANHANDLED FEMALE ABVP WORKERS

2/09/2008

Press Release

EX-DUSU President Ragini Nayak and Amrita Bahari tried to manhandle female ABVP worker yesterday, when Bharti Basoya was pasting the handmade posters for the elections in the north campus. When Bahrti’s resistance for tearing of the posters by Ragini Nayak and Amrita Bahari. She was badly thrashed by Amrita Bahari, Ragini Nayak and other fellow anti-social elements and they also passed lewd comments on her. When ABVP workers demanded to register the FIR but Delhi Police turned down our request succumbed to pressure of the higher authority. Henceforth vigilant common student’s insistence Delhi Police had to change their stand and finally registered a FIR against Ragini Nayak, Amrita Bahari and Rajat (NSUI’s Councillor Candidate) under the section of IPC of 323/509/427/34.

On the penultimate day of the campaigning, ABVP’s Presidential Candidate Nupur Sharma, Vasu Rukhar (Vice–President), Anupriya Yadav (Secretary), Mukesh Shukla (Joint–Secretary) today covered East and Central Delhi colleges - Vivekanand, Shayamlal, Zakir Husian, Aurbindo, Dayal Singh, PGDAV and Deshbandhu. During the campaign Nupur Sharma strongly condemned the shameful act of manhandling of the female student by NSUI goons, she further raised the question of the safety and security of the common students when the former president is indulging is such a despicable act. Anupriya reasserted ABVP’s commitment towards a safe and secure campus. Mukesh Shukla and Vasu Rukhar demanded from the university authorities to take stringent action and forfeit their candidature against those who manhandled Bharti.

डूसू की पूर्व अध्यक्षा द्वारा अभाविप की छात्रा कार्यकर्ता के साथ मारपीट

दिनांक 02/09/08
प्रेस विज्ञप्ति

कल दिनांक 1-1-2008 को डूसू की पूर्व अध्यक्षा रागिनी नायक और अमृता बाहरी ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की छात्रा कार्यकर्ता भारती बसोया के साथ मार-पीट की। यह घटना तब हुई जब भारती नार्थ कैंपस में हस्तनिर्मित पोस्टर चिपका रही थी। पहले रागिनी नायक और अमृता बाहरी ने पोस्टर फाड़ डाला, जब भारती ने इसका विरोध किया तो एनएसयूआई के कुछ गुंडों के साथ उन्होंने उसकी पिटाई की तथा उस पर फब्तियां कसीं। अभाविप के कार्यकर्ताओं ने जब पुलिस से एफआईआर दर्ज करने को कहा तो उसने प्रशासन के दबाव में इंकार कर दिया। लेकिन छात्रों की मांग के आगे पुलिस को झुकना पड़ा और उसने एनएसयूआई के तीन कार्यकर्ताओं- रागिनी नायक, अमृता बाहरी और रजत (वर्तमान एनएसयूआई काउंसिलर प्रत्याशी) के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के प्रत्याशियों - नूपुर शर्मा (अध्यक्ष), वासु रूक्खड (उपाध्यक्ष), अनुप्रिया यादव (सचिव) और मुकेश शुक्ला (सह-सचिव) ने आज यमुना पार और मध्य दिल्ली के कॉलेजों- विवेकानंद, श्यामलाल, जाकिर हुसैन, अरविंदो, दयाल सिंह, पीजीडीएवी और देशबंधु का दौरा किया। वहां छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कैंपस मुद्दों के साथ-साथ राष्ट्रीय एवं अंर्तराष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की।

नूपुर शर्मा ने कल की घटना पर खेद व्यक्त करते हुए कहा कि डूसू की पूर्व अध्यक्षा द्वारा पुरूष गुंडों के साथ मिलकर किसी छात्रा का अपमान करना शर्मनाक है। जब डूसू की पूर्व अध्यक्षाओं के द्वारा किसी छात्रा के साथ इस तरह का सुलूक किया जा सकता है तो ऐसे में आम छात्राएं कैसे खुद को सुरक्षित महसूस कर पायेंगी। अनुप्रिया यादव ने कहा कि अभाविप कैंपस को मुख्यत: छात्राओं के लिए सुरक्षित और भयमुक्त बनाने के लिए कृत्संकल्प है। मुकेश शुक्ला और वासु रूक्खड़ ने विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग की है कि भारती के साथ मारपीट करने वाले एनएसयूआई प्रत्याशी रजत की उम्मीदवारी रद्द की जाए और उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

कॉम्पैक्ट कैम्पस के संकल्प को पूरा करेंगे- अनुप्रिया यादव


हम किसी दबाव में नहीं है, मुझे न केवल खुद पर विश्वास है बल्कि छात्रों के बीच विद्यार्थी परिषद् की सकारात्मक छवि के अलावा परमात्मा पर भी पूरा भरोसा है कि सफलता मुझे जरूर मिलेगी। छात्र जब यह कहते हैं कि `वी वान्ट चेंज´ तो हौंसला बढ़ जाता है। यह कहना है अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की ओर से डूसू चुनाव में सचिव पद की प्रत्याशी `अनुप्रिया यादव´ का। प्रस्तुत हैं उमाशंकर मिश्र द्वारा उनसे की गई बातचीत के प्रमुख अंश-

अनुप्रिया को छात्र हितों के वकालत की सीख विरासत में मिली है। उनके पिता श्री बलराम यादव सन् 1983 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के उपाध्यक्ष और फिर सन् 1984 में अध्यक्ष पद पर रहे हैं। खुद अनुप्रिया भी छात्र राजनीति में पिता को आदर्श मानती हैं। सच ही तो है कि इतिहास आज खुद को दोहरा रहा है और बेटी आज उसी पायदान पर खड़ी है जहां वर्षों पहले पिता खड़े थे। वर्षों पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं और वही विश्वास अनुप्रिया के चेहरे पर भी देखने को मिलता जिसके बूते 80 के दशक में पिता बलराम यादव ने दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों का समर्थन लगातार दो वर्षों तक प्राप्त कर छात्रसंघ चुनाव में जीत हासिल की थी। बाद में बलराम यादव छात्रसंघ में भले ही ना रहे हों लेकिन उनका लगाव हमेशा विद्यार्थी परिषद के साथ बना रहा। अनुप्रिया का बचपन इसी तरह की गतिविधियों के बीच बीत रहा था और वहीं से उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बारे में जानकारी मिली। वे बताती हैं कि ``नौवीं कक्षा में आने तक तो मैंने ये फैसला कर लिया था कि मैं डूसू से सम्बद्ध कॉलेज में ही दाखिला लूंगी और पापा की तरह छात्रों के बीच रहकर करने का मन भी बना लिया था। जब ये बात मैंने पिताजी को बताई तो उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया था। लेकिन आज जब वे मुझे इस मुकाम पर जंग तैयारी में जुटे देखते हैं तो जी भर कर आशीष देते हैं और उनके प्रोत्साहन से उत्साह दोगुना हो जाता है।´´

शर्मीले स्वभाव की अनुप्रिया बात करते हुए पहले तो थोड़ा सकुचाती हैं, लेकिन फिर सहज होते हुए वे छात्र हितों से जुड़े मुद्दों की बात करती हैं, छात्राओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय को काम्पैक्ट कैम्पस बनाना उनकी प्राथमिकताओं में से एक है। छात्राओं के साथ होने वाली ज्यादती को वे करीब से महसूस करती हैं और कहती हैं कि ``आज किसी एक आम छात्रा के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है तो कल मेरे साथ भी हो सकता है। छात्राओं का दर्द मेरा अपना दर्द है। इसलिए उनकी समस्याओं का निदान करना मेरी प्राथमिकताओं में से सबसे ऊपर है, क्योंकि मेरा मानना है कि असुरक्षा का भय छात्रों की पढ़ाई पर भी असर डालता है। यदि छात्र विश्वविद्यालय परिसर में होने वाले दुर्व्यवहार के भय से ग्रसित होगा तो पूरी क्षमता के साथ पढ़ाई बिल्कुल नहीं की जा सकती।´´

हम विभिन्न कॉलेजों में भिन्न-भिन्न फीस का ढांचा और शिक्षा के व्यापारीकरण के विरोध में भी संघर्ष करेंगे, क्योंकि विद्यार्थी परिषद् का मानना है कि शिक्षा तो चैरिटी का विषय है, इसे व्यवसाय की श्रेणी में नहीं रखा जाना चाहिए, इसलिए इसके लिए केन्द्रीय कानून बनाए जाने की आवश्यकता है।

बात पढ़ाई की चली है तो संसाधनों को कैसे भुलाया जा सकता है। अनुप्रिया बेहतर शैक्षिक संसाधनों के विश्वविद्यालय में ना होने को लेकर भी पूर्व छात्रसंघ को आड़े हाथों लेते हुए कहती हैं कि ``कई कॉलेजों में तो लाइब्रेरी और सेनीटेशन जैसी बेसिक सुविधाओं का भी अभाव है, जबकि एयरकंडिशंड ऑफिस में बैठे पिछले डूसू अधिकारियों ने इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया। एनएसयूआई ने पिछले चुनाव से पहले 5 हॉस्टल बनाने की बात करके प्रवासी छात्रों को बरगलाया था, लेकिन 5 ईंट भी उनके कार्यकाल में नहीं लगाई गई हैं। इससे छात्रों के साथ उनकी वादाखिलाफी ज़ाहिर हो जाती है। बकौल अनुप्रिया( हम विश्वविद्यालय में न केवल शैक्षिक संसाधनों की बेहतरी को लेकर प्रतिबद्ध हैं, बल्कि खेलों को प्रोत्साहन देने के लिए भी व्यापक कदम उठाने का फैसला किया है। जिससे आज हम ओलंपिक में जो सिर्फ एक गोल्ड मेडल लेकर आएं हैं, उसे भविष्य में बढ़ाया जा सके। प्रवासी छात्रों को हॉस्टल में जगह मिले और कॉलेजों में दाखिला( इसके लिए हॉस्टलों की संख्या के साथ नए कॉलेजों के निर्माण की पहल भी हम करेंगे। अनुप्रिया कहती हैं कि मेट्रो रेल में छात्रों के लिए रियायती पास बनवाना, यू-स्पेशल बसों की संख्या बढ़ाना, आंतरिक मूल्यांकन की खामियों को दूर करने के लिए भी विद्यार्थी परिषद् आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में हैं। आगे वे कहती हैं कि ``अभी तक आंतरिक मूल्यांकन में बड़े पैमाने पर छात्र हितों के साथ खिलवाड़ किया जाता रहा है। यह सही नहीं है। इसलिए छात्रसंघ में आने के बाद आंतरिक मूल्यांकन में पारदर्शिता लाने की हम भरसक कोशिश करेंगे। इसके अलावा हम विभिन्न कॉलेजों में भिन्न-भिन्न फीस का ढांचा और शिक्षा के व्यापारीकरण के विरोध में भी संघर्ष करेंगे, क्योंकि विद्यार्थी परिषद् का मानना है कि शिक्षा तो चैरिटी का विषय है, इसे व्यवसाय की श्रेणी में नहीं रखा जाना चाहिए, इसलिए इसके लिए केन्द्रीय कानून बनाए जाने की आवश्यकता है।

जब प्रचार पर अनुप्रिया निकलती हैं तो छात्र उनकी सौम्यता के कायल होकर विश्वास के वोट उन्हें अर्पित करने को सहर्ष तैयार हो जाते हैं। प्रचार अभियान के अनुभवों को साझा करते हुए वे बताती हैं कि ``छात्रों से बात करने पर पता चलता है कि किस कद्र वे एनएसयूआई की कारगुजारियों से त्रस्त हो चुके हैं। छात्र कहते हैं कि वो बस एक दिन का एंटरटेनमेंट देते, जबकि हमें पूरे साल भुगतना पड़ता है। हमे चेंज चाहिए।´´

अनुप्रिया कहती हैं कि ``हम लिंग्दोह कमेटी का स्वागत करते हैं। हमने रिक्शे पर भी प्रचार किया है। छात्र भी प्रचार के दौरान हमें उत्सुकता से देख रहे थे। बकौल अनुप्रिया ग्लैमर में हम भी कम नहीं हैं, लेकिन अन्य संगठनों की तरह हम चकाचौंध दिखाकर छात्रों को गुमराह करने की बजाय मुद्दों के आधार पर छात्रों से उनका समर्थन मांग रहे हैं। रही बात धन और बल के प्रयोग की तो यह बात सभी जानते हैं कि इस तरह के हथकंडों का इस्तेमाल कौन लोग करते रहे हैं। हम तो आम छात्र की तरह ही अन्य छात्रों के पास जाते हैं। भगवान में आस्था रखने वाली अनुप्रिया भविष्य में पत्रकार बनने की इच्छा रखती हैं और अपने माता पिता को प्रेरणास्रोत मानती हैं।

Monday, September 1, 2008

ABVP's Manifesto for DUSU Election-2008

Friends,
ABVP started soon after independence in 1948 with the objective of channelising students' energies in the task of National Reconstruction by a group of students and teachers.

The uniqueness of Parishad lies in the fact that it has emerged as a stable organisation of floating population of students. Another unique feature of the organization is that though it is a student organisation in every respect, the teachers also take an active part in its functioning. Ever since its inception teachers have been deeply involved in building up, the organisation and they comprise the permanent component of the membership. ABVP has now attained the status of not only an All India Student Organisation, but also the largest and most vibrant student organisation in the world, through a process of organic growth. It is working in 4000 colleges and 490 districts all over India and has a membership of more than sixteen lakh students, out of which 42% are girls.

The history of its growth proves that it is a live organisation with organic development, growth within the environment and growth without it. The ABVP played a historic role in the 1973 “Nav-Nirman Andolan” which began as an opposition to the hostel fee-hike in an engineering College in Gujarat, and slowly grew into a state wide movement against price rise, corruption and Congress misrule. This very successful movement ended with the resignation of the then Chief Minister of Gujarat, Chairman Bhai Patel. The historic JP Movement of 70s took shape drawing ideological inspiration from the same Nav-Nirman Andolan. JP Movement played a key role in overthrowing the dictatorial regime of Indira Gandhi and re-establishing the democratic credentials of the country.

So far as ABVP's contribution in the national life is concerned it can be said with pride that apart from organizing a lot of constructive and meaningful activities and helping to solve the problems related to student and educational field, the Parishad has played an important role in highlighting and solving larger problems of the country. The ABVP today has a cadre of socially committed workers who are capable of undertaking any challenging task. Even after 61 years of independence education continues to be a neglected sector with the forces of status-quoism, commercialization and corruption controlling the apparatus. It has posed a challenge to national unity as forces of secessionism, and the politics of minorityism, violence, social inequality and strife, economic bankruptcy, etc. are haunting the scene. ABVP is struggling on all fronts for all these issues of education.

The ABVP has been active on various campuses, sensitizing the student community on the various threats posed to our national unity and also by organizing them towards the goals of National Reconstruction through agitation, constructive and representative modes. As nationalism has become the centre of debate on the campus, the bankrupt ideological positions of the Congress have receded to the background. The ABVP considers DU to be one of the most important centers of Students’ activities. The ABVP reiterates its position of not compromising the national, international and student’s interest at any cost and to serve the aspirations of the student community. At a time when opportunistic and totalitarian forces at the centre are conspiring to destabilize and jeopardize the national integrity and democratic ethos of India, the role of ABVP becomes extremely crucial to thwart their ulterior designs.

DU elections 2008-09 is taking place amidst acute national crisis, which is ideological as well as systemic. While a time has come wherein the concept of systemic change broached by ABVP needs to be discussed in the public space, the ideological perversions set in motion by the political parties in power needs to be arrested. In such a critical situation when various groups are hankering for their share in the pie and are ready to sacrifice the national interests, the student community of DU would strengthen the nationalist spirit by voting for the ABVP that represents selfless dedication to nationalism and unity and integrity of India.

NATIONAL ISSUES
ABVP is deeply concerned over the issues of acute Agricultural crisis, Suicides of farmers, Minority Appeasement, Vote-Bank politics, External and Defence affairs at the cost of national interest, Criminalization of politics, Soaring prices due to the inflation and many other issues related to national interest. During the UPA’s tenure, in the name of SEZ thousands of acres of land is being sold to industrial houses forcefully. ABVP demands from the government that it should refrain from taking farmers invaluable land by way of force. Prime-Minister’s sympathy towards people from a particular religious background clearly shows the minority appeasement policy and reasons behind this nothing but dirty vote-bank politics.

Commercialization of education is being done in the name of promoting privatization in the field of education. ABVP demands that by way of making a unitary law for whole country, the commercialization of education should be stopped. ABVP condemns in the strongest possible words on the issue of growing rate of violence in the country especially on the women and demands that strong measures should be taken to stop female foeticide.

The way UPA government in the Centre has been dealing with various issues viz. Amarnath Shrine Board Land Issue, Terrorism, Bangladeshi Infiltration, SIMI, Ramsethu, the question over the existence of Lord Shri Ram etc. is very condemnable. The policies of this government in dealing with these issues are spreading the communal disharmony and giving clear message to the enemies of the country that in this country they can easily achieve their mischievous goals. At this crucial juncture, it is needed that the youth of the nation should come forward and decide their as well as country’s fate together. ABVP call upon the youth of this country to support us in our movement of National Reconstruction.

Campus Issues
Delhi University is one of the premier educational hubs of this country therefore student union election is considered very important. For the past few years DUSU is dominated by the NSUI and it has not fulfilled the promises it has done during the past few years. Not to think of fulfilling them they did not even try to think over it. Because of incapability of NSUI led student union there are various student related issues and problems remains and the solution of which has become necessary such as --
•Lack of hostel facilities on the campus, students who belong to outside Delhi have been facing lots of problems.
•Students are also facing problems due to anomalies in University’s Internal Assessment Scheme.
•The cases of sexual harassment have also increased in the campus.
•Students of Delhi University are yet to get Metro Rail Concession and due to this they have to spend vast amount of money in conveyance only.

Friends, when NSUI’s masters (Congress) at the centre and state themselves are corrupt, how can we expect from NSUI led DUSU to work properly and uncorrupted. ABVP takes this as a challenge and vows to destroy the Congress’ attempt to corrupt the country’s one of the best institution’s student union. In this context DUSU election becomes very significant for us. ABVP has almost thirty years of glorious and successful history of its presence on this campus and so believes that once again students of this campus will give their mandate to the candidates of ABVP so that they can find a good and honest representation of their voices. If elected, we believe that our candidates would live up to the expectations of student community of this campus and solve their problems.

Following are the areas on which we would like to work upon:-

1)Fee Structure
•Various aspects of the fee structure of the university will be analyzed so that we can take an effort to make it more equitable and logical.

2)Reforms in Admission Process
ABVP led student union would do its best to make the admission process centralized and make sure that in this process priority of students be taken care of in matters of colleges and syllabus.
•We would also demand from the authorities to make sports, cultural and other quota admissions more transparent.
•We would also demand to give concessions in admission to the students who belong to rural background.
•We would also try to get the vacant OBC/SC/ST/PH seats in various colleges filled.

3)Teaching and Examination Reforms
•A demand will be placed to make an academic calendar of the whole year.
•In order to make sure the transparency, we would try to come up with the arrangement of making the answer sheets available to the students on their request.
•It would be tried to make the best answer sheet available in the library.

4) Internal Assessment
•We would try to do away with the anomalies in the University’s Internal Assessment Scheme. (The act of discrimination in the name of Moderation in Internal Assessment Scheme is really condemnable. It is also completely condemnable to change the marks sent by the colleges in the name of a particular college’s prestige,)

5)Transportation
•We would fight for getting concessions and student’s pass in Delhi Metro.
•We would continue our struggle to increase the services of DTC’s U-Special buses.
•We would also struggle to provide student’s pass in STA sponsored Blue Line buses and acknowledge student’s pass in all the public transportations in NCR.
•We would try to provide the shuttle buses between North and South Campuses.

6)Educational Issues
•We would try to remove the anomalies in the syllabus of B.Sc. restructured course. The students who have left a particular subject in high school are forced to study them in their college in the name of foundation course.
•University is changing the syllabus of some of the science courses every year from past 4 yrs. This year also it has changed the syllabus without taking care of the infrastructure and other requirements of the course.
•Some colleges have introduced certain specialized courses without proper infrastructure and because of this results of these courses have been near to 10-20%.
•We would demand for more and effective student representation in academic council.
•We would also demand to provide free internet facility to the students on the college campus.
•We would continue our demand to provide 7% of GDP to the Education sector.
•In the event of growing number of students we would try to get more new colleges opened and make sure that 50% from them should be especially for the girls.
•We would demand to introduce evening classes in every colleges of the university so that more students can get the chance of study in this prestigious university.
•For evening colleges we would try to arrange U-Special, Generators etc.
•At the university level demand of one centralised information centre would be placed.
•We would also struggle for the establishment of East and West Campuses.
•We would demand for beds in the university medical centre.
•Demand for a Law Faculty at the East campus would be placed.
•We would try to get the Central and Arts Library fully computerised.
•We would try to get a permanent computer literacy program introduced in every college.
•We would also pressurise the authorities with our demand to opening the Central Reference Library for 24 hours.
•To stop the exploitation of students who belong to outside Delhi, Coordination Committee of Private Hostel owners, Land Lords and Students would be made.

7)Vocational Studies
•We would try for the promotion of various vocational courses viz. Information Technology, Bio Technology, Business and Economics etc.
•We would demand for a university level coordination committee for the promotion of vocational and job oriented courses.

8) Placement Cell
•We would demand for a introducing a university level Placement Cell which would coordinate with various Government & Non Government organisations and provide the students with the job opportunities. It would also work as an information centre for the students in the matters of job.

9)Hostel Facility
•We would continue with our struggle to provide more hotel facilities to the students especially for deprived sections and also demand for well furnished hostels in both North and South campuses.

10)Gender Sensitisation
•We would demand to make Committee against Sexual Harassment more effective.
•We would help the committee by way of various constructive programs.
•We would also struggle for more student representation in this Committee.

11) Scholarship
•We would work for the increment in scholarships and demand to link scholarship with price index.
•We would also struggle for scholarships to all SC/ST/PH students.
•We would try to manage a link between industry-student-NGOs so that students from poor section could be helped. And, this kind of economic assistance would be provided through an Economic Assistance Committee.

12)Secure and Fear-Free Campus
•We would continue with our demand to make North Campus a compact campus.
•To make girl students more self confident we would organise Self Defence Training Camps in various colleges and university campus.
•We would try for the provision of a police booth near every hostel and make sure that there are female police staffs are present at every booth.

13)A complete South Campus
•We are dedicated to one Sports Complex in South Campus.
•We are also dedicated to struggle towards bettering the hostel facilities in South Campus.

14)Hindi Medium Teaching
•We would try for making Post Graduate class available in Hindi medium and provision for Hindi medium exam writing mode as well.

15)Student Insurance
•We would demand for insurance for 5 Lakh rupees for every student at the premium rate of 1 rupee per day.

16) Functioning of DUSU
•We would reinstall the democratic way in the functioning of the Student’s Union and bring transparency in economic matters.
•We would also work for participation of DUSU President in University’s Council and participation for all DUSU members in the ‘University Court’ as well.

Friends, we promise that ABVP led DUSU would pursue the aforementioned agendas and always work for a good academic and secure environment on the campus. We promise that we would struggle till the last to provide the university students with better facilities so that a culture of healthy academic environment could be installed once again in this campus. ABVP is concerned about its responsibilities towards students and youth of this great nation so it promises that through DUSU it would work for their best and try to live up to their expectations. We call upon the students of this university to take active participation in the forthcoming DUSU elections and support to elect the ABVP’s candidates.

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद्- डूसू चुनाव घोषणापत्र - 2008-09

स्वतंत्रता के तुरत बाद जब राष्ट्र के पुनिर्नर्माण की आवश्यकता थी, ऊर्जा सम्पन्न युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की स्थापना 1948 ई में हुई।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (अभाविप) कई मायनों में विशिष्ट है। यह एकमात्र ऐसा छात्र-संगठन है, जिसमें छात्र, शिक्षक और शिक्षाविदों की भूमिका सक्रिय रूप से होती है। आज अभाविप न केवल भारत का बल्कि विश्व का सबसे बड़ा छात्र-संगठन है। यह लगभग 4000 कॉलेजों और 490 जिलों में सक्रिय है और लगभग 16 लाख छात्र इसके सदस्य हैं, जिसमें कुल सदस्यों का 42 प्रतिशत छात्राएं हैं।

अभाविप का इतिहास इस बात का गवाह है कि इसने न केवल युगीन परिस्थितियों के अनुसार अपने को ढाला है बल्कि नवीन परिवर्तनों को दिशा भी दी है। 1973 ई में गुजरात के एक इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रावास की फीस वृद्धि को लेकर अभाविप द्वारा चलाया गया `नव निर्माण आन्दोलन´ धीरे-धीरे कांग्रेस सरकार के कुशासन, भ्रष्टाचार, मंहगाई आदि मुद्दों को भी अपने में सिम्मलित करता गया और एक राज्यव्यापी आंदोलन बन गया। इस आन्दोलन का समापन अंतत: गुजरात के मुख्यमंत्री चिम्मन भाई पटेल के इस्तीफे के साथ हुआ। ऐतिहासिक जेपी आन्दोलन जिसने इंदिरा गाँधी का तख्ता पलट दिया, इस `नव निर्माण आंदोलन´ से प्रेरित तो था ही अपना वैचारिक आधार भी इसी से ग्रहण करता था।

इन साठ वर्षों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने छात्र-हित से लेकर राष्ट्र के व्यापक हित से सम्बद्ध समस्याओं की ओर बार-बार ध्यान दिलाया है और अपनी विभिन्न प्रकार की रचनात्मक गतिविधियों द्वारा इसके समाधान का प्रयास भी किया है। स्वतंत्रता के इतने वर्षों के बाद भी शिक्षा का क्षेत्र लगभग उपेक्षित रहा है। कुल राष्ट्रीय व्यय की दृष्टि से शिक्षा पर व्यय नगण्य है। ऐसे में शिक्षा के व्यवसायीकरण की बात चल रही है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् इसके खिलाफ बार-बार आवाज उठाती रही है। इसके अतिरिक्त अलगाववाद, अल्पसंख्यक तुष्टीकरण, आतंकवाद और भ्रष्टाचार जैसी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के खिलाफ हम लगातार संघर्षरत रहे हैं। इन समस्याओं का समाधान कर सामाजिक समरसता हासिल करना और राष्ट्र को मजबूत बनाना हमारा उद्देश्य है।

अभाविप देश के बहुत सारे शैक्षणिक परिसरों में कार्य करती रही है और छात्र-समुदाय को राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रहित के लिए विभिन्न मुद्दों पर झकझोरती रही है। कांग्रेस के वैचारिक दिवालियेपन और सत्ता-प्रेम ने उसे कम्युनिस्ट देशद्रोहियों से हाथ मिलाने पर विवश कर दिया है। मातृसंस्था से प्रेरणा लेते हुए NSUI आज उसी दिवालियेपन और मानसिक गुलामी से त्रस्त है। ऐसे में राष्ट्र और राष्ट्रीय हित ही हाशिये पर चले गये हैं फिर छात्र हितों की बात करना ही बेमानी है। दिल्ली विश्वविद्यालय देश के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में से है। यह वह संस्थान है जिसकी ओर सम्पूर्ण भारत देखता है। अत: इसके उत्थान और पतन के साथ भारत का भविष्य अनिवार्य रूप से जुड़ा है। आज अवसरवादी और सर्वसत्तावादी ताकतों ने जब राष्ट्रीय अस्मिता और अखण्डता पर सवाल खड़े कर दिये हैं, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो गयी है। दिल्ली विश्वविद्यालय से अभाविप सारे भारत में यह संदेश प्रेषित करेगी कि छात्र-विरोधी गतिविधि वाले किसी संगठन या विचारधारा को भारत का छात्र-समुदाय उखाड़ फेंकेगा।

राष्ट्रीय समस्याए :
देश की वर्तमान समस्याओं मसलन-किसानों की आत्महत्या, अल्पसंख्यक तुष्टीकरण, वोट-बैंक की राजनीति, राजनीति का अपराधीकरण और मंहगाई आदि से अभाविप चिंतित है। इसके अतिरिक्त हम राजनीतिक लाभ के लिए सामरिक नीति और विदेश नीति को गुलाम बना देने की रणनीति का भी विरोध करती है। कहना न होगा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में वे सारे कृत्य हुए जो राष्ट्रीय हित के खिलाफ जाते हैं। यूपीए की सरकार में SEZ के नाम पर हजारों एकड़ उपजाऊ जमीन उद्योगपतियों को औने-पौने दामों पर मुहैय्या करायी गयी। यूपीए के ही एक घटक CPM ने सिंगुर और नंदीग्राम में जो नृशंस तांडव किया, हम उससे वाकिफ हैं, लेकिन यूपीए ने क्या किया? देश के कठपुतली प्रधानमंत्री का स्पष्ट बयान आता है कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। तुष्टीकरण का इससे घटिया नमूना और क्या हो सकता है! जम्मू-कश्मीर में भी कांग्रेस की यही रीढ़विहीन सरकार है जो अमरनाथ श्राइन बोर्ड को जमीन देने की घोषणा करने के बाद अलगाववादी कट्टरपंथियों के दबाव में वापस ले लेती है। यही वह सरकार है जो संसद पर हमला करने के आरोपी अफजल को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद फंसी नहीं दे रही। कारण है वोट बैंक की गंदी राजनीति। निजीकरण के नाम पर शिक्षा का व्यवसायीकरण भी इसी सरकार की देन है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् इस व्यवसायीकरण का विरोध करती है और उच्च शिक्षा को सर्वसुलभ बनाने की मांग करती है। आज देश में हिंसा की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। महिलाएं अपने को असुरक्षित महसूस कर रही हैं।

यूपीए सरकार को पोटा से दिक्कत है लेकिन वह आतंकवाद से निपटने का दंभ भरती है। बंगलादेशी घुसपैठियों को इसने अनेक राज्यों में नागरिकता देकर बसाया है। अनेक आतंकवादी घटनाओं और बम विस्फोटों में लिप्त सिमी को यूपीए के घटक दल सुरक्षा मुहैय्या करा रहे हैं। इस विकट परिस्थिति में जब राष्ट्र की अस्मिता और सम्प्रभुता पर खतरे मंडरा रहे हैं, भारत सरकार लगातार अमेरिकी साम्राज्यवाद के सामने घुटने टेक रही है। भारत-अमेरिका परमाणु समझौते में यह साफ दिखाई देता है। ऐसे में हम छात्र समुदाय से अपील करते हैं कि वे हमारे साथ आयें और राष्ट्र-निर्माण में सहयोग करें।

विश्वविद्यालय से सम्बद्ध समस्याएं :
दिल्ली विश्वविद्यालय देश के सर्वोत्तम विश्वविद्यालयों में से है और इसने कई क्षेत्रों में कीर्तिमान स्थापित किया है, परंतु गत कुछ वर्षों में इसकी प्रतिष्ठा धूमिल हुई है। यह दुर्भाग्य का विषय है कि एक ओर जहां कांग्रेस-नीत केन्द्र सरकार राष्ट्रनायक भगवान श्रीराम के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगाने का दुस्साहस करती हैं वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय का इतिहास विभाग आधुनिक रामायण के नाम पर तथ्यों को गलत ढंग से प्रस्तुत कर छात्रों में राष्ट्रनायकों के प्रति हीन भावना पैदा करने का कृत्य कर रही है। ऐसे में यहाँ के छात्रों और छात्र-संगठनों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। लेकिन इधर कई वर्षों से दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ पर उस NSUI का दबदबा रहा है, जिसने अपनी गैरजिम्मेदाराना हरकतों से विश्वविद्यालय की छवि को धूमिल कर दिया है। यह छात्र-संगठन विश्वविद्यालय के प्रबुद्ध छात्रों से वादाखिलाफी कर इस महान् विश्वविद्यालय की कैसी छवि निर्मित कर रहा है यह किसी से छिपी नहीं है। देश के अन्य विश्वविद्यालयों के समक्ष ये कैसा आदर्श प्रस्तुत कर रहे हैं। वादाखिलाफी के कुछ नमूने इस प्रकार हैं :

•होस्टलों की संख्या में कोई इजाफा नहीं। दिल्ली के बाहर के छात्रों की दिक्कत से कोई सरोकार नहीं।- वायदा किया था होटल बनवाने का, पर भूल गये शायद?
•आन्तरिक परीक्षा प्रणाली की खामियों को दूर कर पारदर्शी बनाया जाएगा - खैर, जब लाभ अपना ही हो तो किया क्या जाए?
•छात्राओं से संबंधित अपराध में वृद्धि - इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाये।
•छात्रों को मेट्रो रेल में कोई रियायत नहीं - छात्र हितों से कोई सरोकार हो तब तो पहल करते।

मित्रों, `मुद्दे बरकार रहें, ताकि हम चुनाव लड़ें´, यह NSUI की पुरानी आदतें है। NSUI के इस नाकारेपन पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् सवाल खड़े करती है। मुद्दों का बरकरार रह जाना एक शर्मनाक स्थिति है, अकर्मण्यता है। इतिहास इस बात का गवाह है कि विद्यार्थी परिषद ने जो भी वायदे किये, पूरे किये। हम छात्र समुदाय से अपील करते हैं कि वे हमारा साथ दें। हम अगर चुनाव जीत कर आये तो हम उनकी आकांक्षाओं पर खरे उतरेंगे और निम्नलिखित विषयों पर काम कर उन्हें तार्किक परिणाम तक पहुँचाने की कोशिश करेंगे :

शुल्क संरचना
•शुल्क संरचना के विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन, निरीक्षण एवं अनुशंसा कराने का प्रयास, ताकि इसे समान तथा तार्किक बनाया जा सके।

प्रवेश प्रक्रिया में सुधार
•महाविद्यालयों एवं पाठ्यक्रमों के संदर्भ में विद्यार्थियों की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए केद्रीय प्रवेश प्रक्रिया के लिए अभाविप के नेतृत्व वाला छात्रसंघ हर प्रकार के कदम उठाएगा।
•हम खेल-कूद, संस्कृति तथा अन्य कोटे से होने वाले प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग करेंगे।
•ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले विद्यार्थियों को प्रवेश में उचित रियायत देने की मांग।
•विभिन्न महाविद्यालयों के सभी पाठ्यक्रमों में अनुसूचित जाति-जनजाति तथा विकलांग कोटे को पूरा करने के लिए प्रयास करेंगे।

परीक्षा सुधार
•प्रवेश के समय ही,प्रवेश से परिणाम तक की तयबद्ध समय सारिणी जारी करने की मांग।
•पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए हम उत्तर पुस्तिका की प्रति छात्रों की मांग पर उपलब्ध करने की व्यवस्था का प्रयास करेंगे।
•सर्वश्रेष्ठ उत्तर पुस्तिका को पुस्तकालय में उपलब्ध कराने का प्रयास किया जायेगा।

आतंरिक मूल्यांकन
•आंतरिक मूल्यांकन की व्यवस्था की खामियों को दूर करने का प्रयास करेंगे। (Internal assessment में moderation की आड़ में भेदभावपूर्ण रवैया निंदनीय है। महाविद्यालय की तथाकथित `प्रतिष्ठा´ के नाम पर महाविद्यालयों द्वारा भेजे गए अंकों को बदलना कहां तक उचित है?)

परिवहन
•Delhi Metro में रियायती स्टूडेंट पास के लिए संघर्ष करेंगे।
•हम अधिक से अधिक यू स्पेशलों की मांग सभी स्तरों पर जारी रखेंगे।
•STA अनुमोदित ब्लू लाइन बसों में स्टूडेंट पास लागू कराने के लिए संघर्ष करेंगे।
•हम उत्तरी एवं दक्षिणी परिसर में शटल बस सुविधा के लिए प्रयास करेंगे।
•विद्यार्थी पास NCR region से चालित वाहनों में लागू करने की मांग करेंगे।

शैक्षिक मुद्दे
•B.Sc. restructured course के पाठ्यक्रम में व्यापक खामियों को दूर करने का प्रयास करेंगे। जिस छात्र ने कक्षा 11में अपनी पसन्द से विषयों का चयन किया हो उसी छात्र को Graduation में गैर पसन्दीदा विषयों को पढ़ने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। कॉलेजों में बिना Infrastructure के इन पाठ्यक्रमों को शुरू करने में प्रशासन की जल्दबाजी समझ के परे है। इसी के चलते कई महाविद्यालयों में 0% परीक्षा परिणाम रहा है। जिसे छुपाने के लिए प्रशासन परिणाम घोषित करने के बाद इसका moderation करने की योजना बना रहा है। विद्यार्थी परिषद् इस समस्या की जड़ को सुलझाने की मांग करता है। हम इन पाठ्यक्रमों को अच्छे ढंग से चलाने हेतु व्यापक Infrastructure की भी मांग करेंगे।
•हर विद्यार्थी को उसके महाविद्यालय में मुफ्त Internet की सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे।
•सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत शिक्षा के लिए आबंटित करने की मांग को हम जारी रखेंगे।
•विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा विश्वविद्यालयों को दिये जा रहे अनुदान में किसी भी प्रकार की कटौती का हम विरोध करेंगे।
•बढ़ रही छात्रों की संख्या को देखते हुए ग्रामीण इलाकों सहित और अधिक कॉलेज खुलवाने का प्रयास करेंगे। जिसमें कम से कम 50 प्रतिशत कॉलेज छात्राओं के लिए बनवाने का संघर्ष करेंगे।
•सभी कॉलेजों में सांध्यकालीन कक्षाएं शुरु करने का प्रयास करेंगे।
•सांध्य महाविद्यालयों के लिए यू-स्पेशल, जेनरेटर एवं एक परिवर्तित समय सारिणी के प्रावधान करवाने का प्रयास करेंगे।
•एक केन्द्रीयकृत सूचना केन्द्र विश्वविद्यालय स्तर पर शुरू करने के लिए प्रयास करेंगे।
•पूर्व एवं पश्चिमी परिसरों की स्थापना के लिए भी प्रयास करेंगे।
•विश्वविद्यालय स्वास्थ्य केन्द्र में शय्याओं की व्यवस्था का प्रयास करेंगे।
•पूर्वी कैम्पस में लॉ-फैक्लटी खुलवाने के लिए प्रयास करेंगे।
•केन्द्रीय और कला पुस्तकालयों को कम्प्यूटरीकृत करवाने का प्रयास करेंगे।
•विश्वविद्यालय के सभी कॉलेजों में स्थायी कम्प्यूटर साक्षरता पाठ्यक्रम शुरू करवाने का प्रयास करेंगे।
•केन्द्रीय संदर्भ पुस्तकालय 24 घण्टे अध्ययन के लिए खुले, इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन पर दबाव बनायेंगे।
•छात्र-छात्राओं के साथ हो रहे शोषण को रोकने एवं सही किराये के लिये प्राइवेट हॉस्टलों, मकान मालिकों एवं छात्रों की एक समिति बनाने की मांग की जायेगी।

व्यवसायिक शिक्षा
•हम सूचना प्रोद्यौगिकी, जैव प्रोद्यौगिकी, बिजनेस इकोनोमिक्स इत्यादि व्यावसायिक शिक्षा की बढ़ोत्तरी के लिए प्रयास करेंगे।
•हम उभरते हुए व्यावसायिक एवं रोजगारपूरक पाठ्यक्रमों को शुरू करने हेतु एक विश्वविद्यालय स्तरीय स्थायी समिति की मांग करेंगे।

नियुक्ति संस्थान (Placement cell)
•हम विश्वविद्यालय स्तरीय नियुक्ति संस्थान स्थापित करने का प्रयास करेंगे, जो सरकारी एवं गैरसरकारी संस्थाओं से समन्वय स्थापित कर छात्रों को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए कार्य करेगा।
•यह संस्थान स्थायी रूप से छात्रों को रोजगार एवं कैरियर तथा परिसर में नियुक्ति एवं अवसरों की भी जानकारी देगा।

छात्रावास सुविधाएं
•हम उत्तरी एवं दक्षिणी क्षेत्र में पर्याप्त सुविधायुक्त नये छात्रावास खोलने के लिए प्रयास करेंगे।
•हम अनुसूचित जाति, जनजाति, विकलांग एवं छात्राओं के लिए अधिक से अधिक छात्रावासों के लिए प्रयास जारी रखेंगे।

लैंगिक संवेदनशीलता
•हम यौन उत्पीड़न विरोधी समिति को और अधिक प्रभावी बनवाने की मांग करेंगे।
•हम रचनात्मक कार्यक्रमों के माध्यम से समिति के कार्यों का विस्तार करेंगे।
•हम इस समिति में छात्र प्रतिनिधित्व के लिए भी प्रयास करेंगे।

छात्रवृत्ति
•हम महंगाई को देखते हुए छात्रवृत्ति में बढ़ोत्तरी के लिए कार्य करेंगे एवं छात्रवृत्ति का मूल्य सूचकांक के साथ जोड़ने के लिए मांग करेंगे।
•हम सभी अनुसूचित जाति, जनजाति एवं विकलांग छात्रों के लिए छात्रवृत्ति के प्रावधान हेतु कार्य करेंगे।
•हम सामाजिक तथा आर्थिक रूप से दुर्बल छात्रों के लिए आर्थिक सहायता हेतु उद्योग-छात्र-स्वयंसेवी संस्थाओं के बीच संवाद कायम करेंगे। इस प्रकार की समस्त आर्थिक सहायता को एक आर्थिक सहायता समिति के माध्यम से आबंटित करवाने का प्रयास करेंगे।

सुरक्षित एवं भयमुक्त परिसर
•हम उत्तरी परिसर को कॉम्पैक्ट बनाने की अपनी मांग को आगे बढ़ायेंगे।
•छात्राओं की आत्मरक्षा हेतु हम नियमित रूप से विश्वविद्यालय परिसर एवं अन्य महाविद्यालयों में आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने की मांग करेंगे।
•परिसरों के सभी छात्रावासों एवं अन्य संवेदनशील स्थानों पर पुलिस बूथ लगाने की मांग को उठाया जायेगा तथा इन बूथों पर महिला पुलिसकर्मियों की उपस्थिति को भी सुनिश्चित करने का प्रयास किया जायेगा।

एक सम्पूर्ण दक्षिणी परिसर
•हम स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स निर्माण के प्रयास हेतु वचनबद्ध है।
•छात्रावास सुविधाओं के विकास एवं विस्तार के लिए भी प्रतिबद्ध है।

हिन्दी माध्यम से पढ़ाई
•हम स्नातकोत्तर एवं अन्य कक्षाओं में हिन्दी माध्यम से पढ़ाए जाने के लिए प्रयास करेंगे एवं समस्त परीक्षाओं में हिन्दी में उत्तर लिखने का अधिकार हासिल करने का प्रयास करेंगे।

छात्र बीमा
•हम 1 रु. के प्रीमियम पर छात्रों को 5 लाख रुपये की बीमा सुविधा उपलब्ध कराने की मांग करेंगे।

डूसू का संचालन
•डूसू का संचालन हम लोकतांत्रिक तरीके से पुन: प्रस्थापित करेंगे।
•डूसू के आर्थिक मामलों में पारदर्शिता लाएंगे।
•विश्वविद्यालय के कार्यकारी परिषद् में डूसू अध्यक्ष एवं ``यूनिवर्सिटी कोर्ट´´ में सभी डूसू पदाधिकारियों की सहभागिता के लिये प्रयास करेंगे।

डूसू की खोई प्रतिष्ठा को पुन: बहाल करके उसे छात्रों एवं विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच संवाद का जरिया बनाने की पहल करेंगे।

मित्रों,
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के नेतृत्व में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ उत्कृष्ठ शैक्षणिक माहौल और सुरक्षित परिसर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। हमने जो भी वायदे किये हैं उसे पूरा करेंगे। हम छात्र समुदाय से वोट की भीख नहीं मांगते , हम कर्ज मांगते हैं, जिसे हम सूद समेत वापस करेंगे-यानि आपकी आकांक्षाओं का विश्वविद्यालय बनाकर।

वन्दे मातरम्

डूसू चुनाव, 5 सितम्बर 2008 के लिए अभाविप प्रत्याशी

नाम- पद- बैलट न.
नूपुर शर्मा- अध्यक्ष- 3
वासु रुक्खड़- उपाध्यक्ष- 5
अनुप्रिया यादव- सचिव- 3
मुकेश शुक्ला- सह-सचिव- 3

विद्यार्थी परिषद् के पैनल ने आचार संहिता को मानते हुए किया साइकिल से प्रचार


दिनांक 01/09/08

प्रेस विज्ञप्ति

विद्यार्थी परिषद के डूसू अध्यक्ष पद की उम्मीदवार नूपुर शर्मा ने साइकिल पर चढ़कर चुनाव प्रचार को गति दी। उन्होंने छात्र-छात्राओं से आह्वान किया कि वे हर स्थिति में छात्रों के बीच रहकर उनके मुद्दों के लिए संघर्ष करेंगी। नूपुर शर्मा व मुकेश शुक्ला ने मैट्रो स्टेशन, खालसा, मीरिण्डा हाउस, एसआरसीसी, रामजस, हंसराज, हिंदू कॉलेज, लॉ डिपार्टमेंट डीएवी, देशबंधु, अरविंदो, दयाल सिंह कॉलेज व हिंदू कॉलेज, हंसराज कॉलेज के छात्रावासों में मुद्दों के आधार पर विद्यार्थी परिषद् के पैनल के लिए वोट मांगे।

दूसरी तरफ उपाध्यक्ष वासु रूक्खड़ व सचिव पद की उम्मीदवार अनुप्रिया यादव ने छात्रों से आह्वान किया कि वे अपना वोट परिवर्तन के लिए दें। दोनों ने छात्रों से अपने मत के अधिकार का प्रयोग करने की अपील की। इन प्रत्याशियों ने दयाल सिंह, डीएवी, देशबंधु, भगतसिंह, अरविंदो, सीवीसी, आरएलए, मोतीलाल, एआरएसडी व एलसी-2 में विद्यार्थी परिषद के पैनल को योग्यता के आधार पर जीताने की अपील की।

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डूसू चुनाव राष्ट्रीय व छात्र हितों के मुद्दों पर लड़ेगें: अभाविप

विद्यार्थी परिषद् डूसू छात्रसंघ को मुद्दों पर लड़ना चाहता है। और प्रतिपक्ष को मुद्दों पर खुली बहस के लिए चुनौती देता है। विद्यार्थी परिषद द्वारा डूसू घोषणा पत्र जारी किया गया।

डूसू अध्यक्ष पद की उम्मीदवार नूपुर शर्मा ने जहां विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय व छात्र हितों के मुद्दों को रखा वहीं गत वर्षों में डूसू की विफलता को भी कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने एनएसयूआई के पूरे पैनल विशेष तौर पर अध्यक्ष पद की उम्मीदवार को किसी भी मंच आकर मुद्दों पर खुली बहस की चुनौती दी। डूसू के पैनल के अध्यक्ष प्रत्याशी नूपुर शर्मा, उपाध्यक्ष प्रत्याशी वासु रूक्खड़, सचिव प्रत्याशी अनुप्रिया यादव, सह सचिव प्रत्याशी मुकेश शुक्ला ने अपनी छवि व मुद्दों के दम पर जीत का विश्वास जताया।

पत्रकार वार्ता को विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री श्रीनिवास, प्रदेश मंत्री निहारिका शर्मा, डूसू के पूर्व उपाध्यक्ष विकास दहिया ने भी संबोधित किया।

Sunday, August 31, 2008

डूसू की गरिमा पुन: बहाल करेंगे : वासु रूख्खड़


दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की ओर से उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार वासु रूख्खड़ लगातार दो वर्षों तक सत्यवती कॉलेज छात्र संघ के अध्यक्ष रहे है। उन्होंने अनेक आंदोलनों में भाग लिया है। शहीद शिरोमणि भगत सिंह को अपना आदर्श मानने वाले वासु रूख्खड से डूसू चुनाव-प्रचार के दौरान संजीव कुमार सिन्हा ने अनेक मुद्दों पर चर्चा की। प्रस्तुत है मुख्य अंश-


देश में अनेक छात्र संगठन हैं। आप विद्यार्थी परिषद् से ही क्यों जुड़े?
देश में कुछ छात्र संगठन ऐसे है, जिनकी जड़ें विदेशी विचारधारा से जुड़ी है। कुछ ऐसे है जो चुनावी कुकुरमुत्ते की भूमिका निभाते है। विद्यार्थी परिषद् ही देश का एकमात्र छात्र संगठन है जो भारतीय विचार से अनुप्राणित है और वर्ष में 365 दिन कॉलेजों में सक्रिय रहता है। परिषद् ही एकमात्र संगठन है जो शिक्षा क्षेत्र के साथ-साथ राष्ट्रीय मुद्दों पर भी अभियान चलाता है। इसलिए मैं विद्यार्थी परिषद का सदस्य बना।

निजीकरण की आड़ में शिक्षा का व्यासायीकरण धड़ल्ले से जारी है। इससे उच्च शिक्षा आम छात्रों की पहुंच से दूर नहीं हो रही है?
विद्यार्थी परिषद् शिक्षा के व्यावसायीकरण का स्पष्ट तौर पर विरोध करती है। हम शिक्षा को बाजार की वस्तु बना देने का विरोध करते है।

दिल्ली विश्वविद्यालय में आज अनेक समस्याएं मुंह बाएं खड़ी है। पुस्तकालयों में किताबें नहीं है। लैबोरेट्री में उपकरण नहीं है। छात्रों की संख्याएं लगातार बढ़ रही है लेकिन छात्रावासों की संख्या में इजाफा नहीं हो रहा है। कैम्पसों में छात्राओं के साथ छेड़खानी की घटनाएं बढ़ रही है। आंतरिक मूल्यांकन के नाम पर विद्यार्थियों के साथ भेदभाव जारी है। यू-स्पेशल बसों में कटौती जारी है। ऐसी अनेक समस्याएं है जिनको लेकर हम छात्रों के बीच जा रहे है।

लिंग्दोह कमेटी की सिफारिशों से आप कहां तक सहमत है?
तमाम कमियों के बावजूद हम लिंग्दोह कमेटी की सिफारिशों का स्वागत करते है। छात्र आंदोलन के गिरते स्तर को लेकर विद्यार्थी परिषद् भी चिंतित है। लिंग्दोह कमेटी की सिफारिशों में प्रमुख कमियां यह है कि यह व्यावहारिक धरातल से दूर है। यू स्पेशल और डीटीसी बसों की संख्या कम हो रही है। मेट्रो रेल में छात्रों को रियायती पास नहीं मिलता। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ से संबद्ध कॉलेज दिल्ली भर में फैले हुए है। इसलिए डूसू चुनाव-प्रचार महज पांच हजार रुपए में संपन्न हो, यह उचित नहीं है।

इस बार डूसू चुनाव में कौन से प्रमुख मुद्दे है?
दिल्ली विश्वविद्यालय में आज अनेक समस्याएं मुंह बाएं खड़ी है। पुस्तकालयों में किताबें नहीं है। लैबोरेट्री में उपकरण नहीं है। छात्रों की संख्याएं लगातार बढ़ रही है लेकिन छात्रावासों की संख्या में इजाफा नहीं हो रहा है। कैम्पसों में छात्राओं के साथ छेड़खानी की घटनाएं बढ़ रही है। आंतरिक मूल्यांकन के नाम पर विद्यार्थियों के साथ भेदभाव जारी है। यू-स्पेशल बसों में कटौती जारी है। ऐसी अनेक समस्याएं है जिनको लेकर हम छात्रों के बीच जा रहे है।

डूसू की राजनीति धनबल और बाहुबल पर टिकी हुई है। देश के प्रतिष्ठित छात्र संघ की इस स्थिति में बदलाव नहीं आना चाहिए है?
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ का गौरवशाली इतिहास रहा हैं। आपातकाल और बोफोर्स घोटाला के विरोध में डूसू ने व्यापक संघर्ष छेड़ा था। दुर्भाग्य से गत कुछ वर्षों में डूसू की गरिमा धूमिल हुई है। एनएसयूआई के नेतृत्ववाले डूसू ने छात्र हितों से खिलवाड़ किया है। आज छात्रसंघ भवन पेशेवर राजनीति का अड्डा बना हुआ है। डूसू पदाधिकारी अपने कांग्रेसी आकाओं को खुश करने में लगे रहते है। परिषद् देश का एकमात्र छात्र संगठन है जो दलीय तथा सत्तावादी राजनीति से ऊपर है। छात्रों का प्रतिनिधि संगठन होने के कारण डूसू महत्वपूर्ण संस्था है। विद्यार्थी परिषद् डूसू की गरिमा बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध है।

चुनाव-प्रचार के दौरान कॉलेजों में छात्रों की ओर से आपको कैसा प्रतिसाद मिल रहा है?
एनएसयूआई द्वारा ठगे जाने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र बड़ी शिद्दत के साथ विद्यार्थी परिषद् की जरूरत को महसूस करते है। चुनाव-प्रचार के दौरान परिषद् के पूरे पैनल को छात्रों का जबर्दस्त समर्थन मिल रहा है। इस बार वे एनएसयूआई के धोखे में नहीं आने वाले है और परिषद् प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित है।

घर घर जाकर मांगे वोट

दिनांक 31/08/08

प्रेस विज्ञप्ति

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की ओर से दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के लिए आज रविवार की छुट्टी होने के कारण डोर टू डोर प्रचार की योजना बनाई गई थी। इसी कड़ी में घर-घर जाकर न केवल छात्रों बल्कि उनके अभिभावकों से भी संपर्क साधा गया। अपने दरवाजे पर विद्यार्थी परिषद् के डूसू प्रत्याशियों नुपुर शर्मा, वासु रूक्खड़, अनुप्रिया यादव और मुकेश शुक्ला को देखकर छात्र फूले नहीं समा रहे थे तो उनके माता पिता ने भी इन प्रतिनिधियों को अपना आशीर्वाद दिया।

व्यक्तिगत संपर्कों की इस श्रृंखला के दौरान अभाविप प्रत्याशियों ने विभिन्न इलाकों में जाकर छात्रों से डीयू में होने वाली परेशानियों के बारे में जानकारी हासिल और उन्हें इस तरह की तमाम परेशानियों से निजात दिलाने का भरोसा दिलाते हुए विद्यार्थी परिषद् को समर्थन दिये जाने की अपील की है। अध्यक्ष पद की प्रत्याशी नुपुर शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में किसी भी तरह भय का वातावरण ना बने इसके लिए परिषद् कार्यकर्ताओं ने कमर कस ली है। इस तरह से कैम्पस में कांग्रेस सरकार की शह पर हो रही गुंडागर्दी को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

छात्रावासों एवं विभिन्न इलाकों में आयोजित छात्रसभाओं को संबोधित करने पहुंचे परिषद के उपाध्यक्ष पद के प्रत्याशी वासु रूक्खड ने डीयू में शैक्षिक वातावरण के निर्माण हेतु अभाविप प्रत्याशियों का समर्थन करने की छात्रों से अपील की है। वहीं सचिव पद की दावेदार अनुप्रिया यादव ने कहा कि हमें जिस तरह का समर्थन छात्रों की ओर से मिल रहा है उसे देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि अभाविप इस बार चारों सीटों पर विजय हासिल करने जा रही है। छात्रावासों में अपने चुनाव अभियान के दौरान संबोधन में मुकेश शुक्ला ने विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ एनएसयूआई द्वारा की गई वायदाखिलाफी का हवाला देते हुए कहा कि `अब वक्त आ गया है कि छात्र एनएसयूआई की अराजकता को विश्वविद्यालय परिसर उखाड़ फेंके।

Saturday, August 30, 2008

''पहल नीचे से ही करनी होगी, तभी इमारत मजबूत बनाई जा सकती हैं- नुपुर शर्मा''


अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की ओर से डूसू अध्यक्ष पद की उम्मीदवार ''नुपुर शर्मा'' के दिन भर के व्यस्त शिड्यूल से निपटने के बाद उमाशंकर मिश्र ने उनसे विभिन्न विषयों पर गहन चर्चा की। प्रस्तुत हैं इस बातचीत के प्रमुख अंश -

डूसू प्रत्याशियों से मिलने जब शाम को हम 6-महादेव रोड स्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के चुनाव कार्यालय पहुंचे तो अध्यक्ष पद की उम्मीदवार नुपुर शर्मा आगामी रणनीतियों को लेकर चल रही एक बैठक में मशगूल थीं। थोड़ी देर इंतजार करने के बाद जब हम उनसे मिलने गए तो बैठक ख़त्म हो चुकी थी, लेकिन उनकी व्यस्तता यथावत् बनी हुई थी। उनसे मुझे जब मिलवाया जाता है तो दिन भर की थकान के बावजूद भी एक औपचारिक मुस्कान नुपुर के चेहरे पर तैर जाती है और जैसे ही वे ''हैल्लो'' कहती हैं तो पता चलता है कि चुनाव अभियान में छात्रों के सवालों के जवाब देकर और उनके बीच अपनी बात को रखने के लिए लगातार भाषणों के सिलसिले के चलते उनका गला बैठ चुका था।

बातचीत शुरू होती है तो अपने दिन भर के अनुभवों के बारे में वे बताने लगती हैं और कहती हैं कि ''अभी तक जिस तरह से छात्रों ने उत्साहपूर्वक एबीवीपी को समर्थन दिया है, उससे हमें अच्छे परिणाम की अपेक्षा है।'' जब उनसे पूछा जाता है कि चुनाव प्रचार किस तरह से किया जा रहा है तो नुपुर बताती हैं कि ''सबसे पहले तो हम छात्रों से रूबरू होते हैं और उन्हें ये बताने की कोशिश करते हैं कि 'दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ' के लिए वे 'अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद्' के प्रत्याशियों को ही क्यों चुनकर भेजें। इसके लिए विद्यार्थी परिषद् की ओर से ग्लैमर और मनी एवं मसल पावर से अलग हटकर छात्रों के बुनियादी मुद्दों को आधार बनाया जा रहा है और अभाविप के मुद्दे जमीनी हकीकत से जुड़े हुए हैं।

आज दिल्ली विश्वविद्यालय को वैश्विक रंग में रंगने की तैयारियां की जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर कॉलेजों के टॉयलेट से लेकर पुस्तकालय, आंतरिक मूल्यांकन, यू स्पेशल, छात्रावासों का निर्माण इत्यादि की स्थिति अभी भी संतोषजनक नहीं है।

नुपुर कहती हैं कि यह बात काबिले-गौर है कि विगत छात्रसंघ प्रशासन की उपेक्षा से दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र त्रस्त हो चुके थे और इसी के चलते उन्होंने परिवर्तन का मन बना लिया है। बकौल नुपुर शर्मा 'इस बात की झलक छात्रों से बातचीत के दौरान देखने को मिल जाती है कि बुनियादी समस्याओं के लिए भी छात्रों को झूझना पड़ रहा है। आगे वे कहती हैं कि ''आज दिल्ली विश्वविद्यालय को वैश्विक रंग में रंगने की तैयारियां की जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर कॉलेजों के टॉयलेट से लेकर पुस्तकालय, आंतरिक मूल्यांकन, यू स्पेशल, छात्रावासों का निर्माण इत्यादि की स्थिति अभी भी संतोषजनक नहीं है। इस तरह के केन्द्रीय स्तर के विश्वविद्यालय में जहां विभिन्न स्रोतों से अनुदान मिल रहा हो, वहां यह सवाल ऐसे में उठना लाजमी है कि आख़िर यह पैसा कहां जा रहा है? इसलिए हम बेसिक मुद्दों को लेकर चल रहे हैं; क्योंकि हमारा मानना है कि पहल नीचे से ही करनी होगी, तभी इमारत मजबूत बनाई जा सकती है। दक्षिणी परिसर के कॉलेजों में बसों के न होने की समस्या को जोर शोर उठाते हुए नुपुर कहती हैं कि मेन रोड से अंदर कॉलेज तक पहुंचने में छात्रों को करीब एक से दो किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है, ऐसे में उनकी पूरी उर्जा पैदल चल कर कॉलेज पहुंचने में खर्च हो जाती है।

हॉस्टल की बात करते हुए कहती हैं कि मैं 5 साल से संगठन में हूं और यहां रहकर मैने अन्य प्रदेशों से आने वाले छात्रों की समस्याओं को करीब से देखा है, जिन्हें पर्याप्त हॉस्टल न होने के कारण पीजी में रहना पड़ता है। नुपुर कहती हैं कि यह नहीं भूलना चाहिए कि हरेक छात्र की पारिवारिक पृष्ठभूमि ऐसी नहीं होती कि वह पीजी में रहने का खर्च वहन कर सके। इसलिए हमने हॉस्टलों को संख्या बढ़ाने के लिए मुहिम छेड़ने का फैसला किया है, जिससे छात्रों के रहने की समस्या को समाप्त किया जा सके। दूसरी ओर ओलंपिक जिस तरह से ग्रामीण पृष्ठभूमि से जुड़े युवा मेडल जीत कर लाए हैं उससे आशा की किरण तो दिखाई देती है, लेकिन इस बात पर विचार करना होगा कि एक अरब की आबादी में क्या हम सिर्फ तीन मेडल जीतने की ही कूव्वत रखते हैं?'' बकौल नुपुर; हमें यह भी सोचना होगा कि विश्वविद्यालयी स्तर पर किस तरह की सुविधाएं खिलाड़ियों को मिल पा रही हैं। फिलहाल विद्यार्थी परिषद् ने खेलों का स्तर सुधारने को अपनी प्रतिबध्दताओं की सूची में शामिल कर लिया है, जिससे कि गांव-गांव में कुश्ती और दंगलों वाले इस देश को आत्मविश्वास से लबरेज युवाओं को भविष्य में इस तरह वर्षों तक धोबी पछाड़ न खानी पड़े।

नुपुर हिन्दू कॉलेज में रही हैं और फिलहाल वे लॉ-सेन्टर-1 की छात्रा हैं। वे बताती हैं कि ''लॉ स्टूडेंट होने के नाते मैंने कई जगह काम किया है, इसलिए अपने अनुभवों के आधार पर मैंने यह महसूस किया है कि तकनीक आधुनिक युग की आवश्यकता है और दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे संस्थान के छात्रों को अब तकनीक की दुनिया से जोड़ने का वक्त आ गया है। रामजस कॉलेज ने वायरलेस इंटरनेट का प्रयोग शुरु भी कर दिया है। नुपुर अपने छात्र जीवन के अनुभवों को आधार बताते हुए आगे कहती हैं कि न केवल रिसर्च बल्कि डाटा स्टोरेज एवं अध्ययन में भी कंप्यूटर एक अनिवार्य आवश्यकता बन चुका है। ऐसे में छात्रों को लैपटॉप पर अध्ययन करने को यदि मिल जाए तो निश्चित तौर पर इसके चमत्कारिक परिवर्तन देखने को मिलेंगे।

दिन भर की भागम-भाग के बावजूद भी ताजगी नुपुर के चेहरे पर बनी रहती है और बड़ी ही चुस्ती से वे सवालों के जवाब आत्मविश्वासपूर्ण लहजे में देती हैं। वे बताती हैं कि प्रचार के दौरान हम छात्रों के बीच जाकर उन्हें अपने बारे में बताते हैं और छात्र जब विस्तार से कुछ जानना चाहते हैं तो उसके बारे में भी बताकर उनको संतुष्ट करने का प्रयास किया जाता है। जब उनसे छात्र राजनीति में आने के बारे में सवाल पूछा जाता है तो वे कहती हैं कि ''हिन्दू कॉलेज में रहकर मैंने एक्टिविज्म को सीखा है, क्योंकि इस कॉलेज के छात्रों में सामाजिक एवं राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर भी न केवल चर्चा चलती रहती है, बल्कि उनको लेकर काम भी किया जाता है। इस तरह से नुपुर के एक्टिविज्म का सफर हिन्दू कॉलेज के कॉरीडोर से शुरु होकर डूसू के पायदन तक आ पहुंचता है और वे पूरे विश्वविद्यालय के हजारों छात्रों की अगुआ के रूप मे उभर कर सामने आती हैं। वे बताती हैं कि उन दिनों हमने जेसिका लाल मर्डर केस के आरोपियों को लेकर बरती जा रही पुलिसिया कोताही को लेकर आवाज उठाई थी। इसके लिए एक ग्रुप बनाकर ब्लाग पर इसके खिलाफ अभियान चलाया गया और ई-मेल के जरिये हमने करीब 5 हजार लोगों से जेसिका को न्याय दिलाने के लिए आगे आने की अपील की। नुपुर बताती हैं कि इस तरह के अभियानों का असर यह हुआ कि इससे सिर्फ कॉलेज के दोस्त ही नहीं; बल्कि स्कूल के पुराने दोस्तों को भी जब इन गतिविधियों के बारे में पता चला तो वे भी इसका हिस्सा बनने के लिए आने लगे।

एबीवीपी से जुड़ने के कारणों में नुपुर संगठन की विचारधारा और दृष्टिकोण को महत्व देती हैं। वे कहती हैं कि परिषद् छात्रों के सामाजिक, व्यैक्तिक और अकादमिक स्तर पर विकास की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए कार्य करती है। जबकि अन्य छात्र संगठनों में ऐसा नहीं है। नुपुर शर्मा एक लम्बी आह भरते हुए कहती हैं कि ''विद्यार्थी परिषद् में रहकर मैंने सीखा कि जिसे अन्य लोग छात्र राजनीति से जोड़कर देखते हैं, उसे परिषद् में एक्टिविज्म कहा जाता है। बस फिर क्या था, मेरे भीतर के एक्टिविस्ट को अब एक मंच मिल गया था। परिषद् ने भी मेरी क्षमताओं को परखकर दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों के प्रतिनिधि के तौर पर चुनने का फैसला किया।'' चुनाव में ग्लैमर को नुपुर महत्व नहीं देती। वे कहती हैं कि अपनी छाप छात्रों पर छोड़ने के लिए लीडरशिप क्वालिटी होना बेहद जरूरी है। इसके साथ साथ इंटीलेक्चुअल एवं बेहतर पर्सनैल्टी का होना भी आवश्यक है, जिससे कि वह दृढ़ता से छात्रों के हित की बात प्रशासन के समक्ष रख सके।

लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों को लेकर नुपुर की प्रतिक्रिया मिलीजुली है। वे कहती हैं कि इसके बहुत पहलुओं से तो चुनाव सुधारों को बल मिलता है, लेकिन कुछेक ऐसे पहलू भी हैं जो समझ से परे हैं। वे सवाल उठाते हुए कहती हैं कि 5 हजार रुपये खर्च की सीमा में रहकर 51 कॉलेजों में प्रचार करना आसान नहीं है। लेकिन हमने हार नहीं मानी है और इसी के चलते हम रिक्शे में बैठकर भी छात्रों तक पहुंच रहे हैं। हारे हुए उम्मीदवारों को दोबारा टिकट न दिया जाना एक जहां एक ओर अलोकतांत्रिक है, वहीं दूसरी ओर चुनाव लड़ने के लिए उपस्थिति की सीमा को बढ़ा देना भी सही नहीं कहा जा सकता है।

'छात्र राजनीति' या फिर नुपुर के शब्दों में कहें तो 'एक्टिविज्म' से हटकर मुख्यधारा की राजनीति में जाने की मंशा फिलहाल नुपुर की नहीं है। अभी वे और पढ़ना चाहती हैं। नुपुर को चाहे वह राजनीति हो, एक्टिविज्म या फिर पढ़ाई सभी स्तरों पर परिवार का पूरा सपोर्ट मिलता है। इसके लिए वे माता-पिता और ईश्वर को धन्यवाद देते हुए गर्दन हिलाकर फिर से वही औपचारिक मुस्कान बिखेरती हैं और मुझे भी धन्यवाद देते हुए बैग उठाकर चल पड़ती हैं।

सरकार की शह पर गुंडागर्दी को सहन नहीं किया जाएगा-एबीवीपी

दिनांक - 30 अगस्त 2008

प्रेस विज्ञप्ति


डूसू की स्वच्छ छवि व प्रभावी भूमिका के लिए एबीवीपी को जिताएं। यह आह्वान अभाविप की डूसू चुनाव में अध्यक्ष पद की उम्मीदवार नुपूर शर्मा ने आज जोरदार चुनाव प्रचार करते हुए छात्र-छात्राओं से किया। उन्होने कहा कि डूसू की गरिमा के लिए एबीवीपी के पूरे पैनल को जिताकर छात्रों से झूठे वायदे करने वाले संगठन को बाहर का रास्ता दिखायें। उन्होने कहा कि दयाल सिंह कॉलेज में मनोहर नागर द्वारा छात्रों पर चाकुओं से हमला करके दहशत का माहौल बनाने का प्रयास किया गया है, जो कि निंदनीय हैं।

एबीवीपी प्रत्याशियों ने अपने प्रचार में छात्रों से आह्वान किया कि वे विद्यार्थी परिषद की साल भर की सक्रियता के पक्ष व पिछले पांच वर्षों में एनएसयूआई की डूसू में विफलता के खिलाफ वोट दें।

परिषद प्रत्याशियों ने जहां छात्रों से सीधे जुड़े मुद्दों पर एनएसयूआई को घेरा वहीं राष्ट्रीय मुद्दों पर भी उन पर जमकर वार किया।

चुनाव प्रचार में अपनी बढ़त बनाते हुए विद्यार्थी परिषद के पैनल की अध्यक्ष उम्मीदवार नुपूर शर्मा व सह सचिव प्रत्याशी मुकेश शुक्ला ने विवेकानंद, श्यामलाल, जाकिर हुसैन, खालसा, तिब्बिया कॉलेज में छात्रों से समर्थन की अपील की. वहीं सचिव पद की उम्मीदवार अनुप्रिया यादव व उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार वासु रूख्खड़ ने शिवाजी, राजधानी, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, गुरू गोविंद सिंह व आईजीआई कॉलेज में छात्रों से संपर्क कर वोट मांगे।

अभाविप आज दयालसिंह कॉलेज में हुए घटनाक्रम की कड़ी निंदा करती है। साथ ही विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग करती है कि ऐसे सरेआम गुंडागर्दी करने वाले छात्र नेताओं पर कार्यवाही करें।

परिषद् विश्वविद्यालय प्रशासन को याद दिलाना चाहती है कि हाल ही में आर्ट्स फैकल्टी में छात्र चेतना रैली के नाम पर भी इन्हीं लोगों ने गुंडागर्दी व सरेआम हथियारों का प्रयोग अपने विरोधियों को घायल करने में उपयोग किया। परंतु ऐसा लगता है कि विश्वविद्यालय प्रशासन कांग्रेस सरकार के दबाव में आंखे मूंदे हुए है। परिषद् ऐसे गलत हथकंडों से चुनाव जीतने के किसी मंसूबे को पूरा नही होने देगी।

लड़ेंगे-जीतेंगे

सशक्‍त व जीवंत डूसू के लिए विद्यार्थी परिषद् के साथ चलें

डूसू़, स्‍टूडेंट्स के वेलफेयर के लिए है, यह मॉडलिंग एजेंसी नहीं है

Friday, August 29, 2008

Delhi Government Frightened on ABVP candidates Rising Popularity

Date- 29/8/2008
PRESS RELEASE


At the behest of Delhi Government, Delhi police filed a FIR against ABVP candidates to mentally torture the. FIR was registered on the pretext of pasting posters in the campus, which is against the “code of conduct” of DUS. Actually these posters were pasted by aspiring candidates as pre-election campaign it has no pertaining relationship with ongoing election campaig. The same exercised had done by NSUI candidates but Delhi Police didn’t register any case against NSUI candidates. According to Delhi Police this case was filed under the Bengal Act. It shows the government’s frustration towards the increasing the popularity of ABVP Candidates in recent DUSU Election.

Congress petty politics didn’t affect the ABVP campaign schedule, as our candidates campaigned in two groups. One group is comprised of Nupur Sharma (Presidential candidate) & Mukesh Shukla (Jt. Sec. Candidate) visit to Sradhananda, Aditi, and Delhi College of Engineering in the morning session and in the evening they went to colleges located in North Delhi during the campaigning, Nupur Sharma ABVP Presidential candidate addresses the gathering in which she strongly condemn & censure the congress government for mischievous act. According to Mukesh Shukla ABVP JT. Secretarial candidate, for the last few years DUSU is the dominated by the NSUI but they didn’t fulfill their promises and betrayed the student’s community.

On the other hand the other group comprised of Vasu Rukhar (Vice-Presidential candidate) & Anupriya Yadav (Sec. Candidate) visited to Satyawati, Laxmibai, SRCC, & Khalsa, Miranda college and some outer Delhi colleges. In the campaigning trail Secretarial candidate Anupriya Yadav vows to make Delhi University a safe & fear free campus.Vice–Presidential candidate Vasu Rukhar emphasized on infrastructure development.

अभाविप के उम्मीदवारों को परेशान करने में सत्ता का दुरूपयोग

दिनांक-29 अगस्त, 2008
प्रेस विज्ञप्ति

सरकार के दबाव में दिल्ली पुलिस ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के डूसू पैनल के उम्मीदवारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है। यह एफआईआर केवल परेशान करने की नीयत से किया गया है। इसमें जरा भी सच्चाई नही है। यह एफआईआर इस बात पर दर्ज किया गया है कि अभाविप ने आचारसंहिता का उल्लंघन पोस्टर चिपकाकर किया है जबकि वे पोस्टर पुराने थे और प्री-इलेक्शन कैम्पेन के दौरान लगाये गये थे। इसका वर्तमान चुनाव से कोई लेना देना नहीं है।

पुलिस का कहना है कि उसने बंगाल एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। इसी तरह के पोस्टर एनएसयूआई के लोगों ने चिपकाए थे लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। वस्तुत: अभाविप के सशक्त उम्मीदवारों को देखकर कांग्रेस की सरकार घबड़ा गयी है और उसने तिलमिलाकर प्रत्याशियों को परेशान करना शुरू कर दिया है। उन्हें विश्वास हो गया है कि उनके उम्मीदवार इस चुनावी रेस से बाहर हो चुके हैं, इसलिए उनके पास इसके सिवा कोई रास्ता नहीं है।

इन कांग्रेसी हथकंडों से बेफिक्र अभाविप के प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार के दौरान विभिन्न कॉलेजों में छात्रों को संबोधित किया। नूपुर शर्मा और मुकेश शुक्ला ने श्रध्दानंद, अदिति और दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग का दौरा सुबह में किया और शाम में उत्तरी दिल्ली के कॉलेजों का दौरा किया। अपने संबोधन में नूपूर शर्मा ने कहा कि कांग्रेस के सरकार की स्थिति खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे की तरह हो गई है। उसने हार स्वीकार ली है किन्तु पचा नहीं पा रही है इसलिए वह इस तरह की घटिया हरकत कर रही है। मुकेश शुक्ला ने कहा कि डूसू नेतृत्व ने जिस तरह की वादाखिलाफी छात्रों के साथ की है वह बेहद शर्मनाक है।

अनुप्रिया यादव और वासु रूख्खड़ ने आज सत्यवती, लक्ष्मीबाई, एसआरसीसी, मिरिण्डा हाउस, खालसा कॉलेज के साथ ही बाहरी दिल्ली के कॉलेजों का दौरा किया। अनुप्रिया यादव ने कहा कि वे भयमुक्त कैम्पस बनाने के लिए प्रतिबध्द हैं, जिसमें छात्राएं अपने को सुरक्षित महसूस कर सकें। वासु रूख्खड़ ने डूसू एनएसयूआई के पूर्व केन्द्रीय नेतृत्व से असंतोष व्यक्त करते हुए कहा है कि उसने कोई काम छात्र हित के लिए नहीं किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वे सबसे पहले इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर देंगे और छात्रावासों के निर्माण को प्राथमिकता देंगे।

विद्यार्थी परिषद् ने ब्लॉग के जरिये तेज किया डूसू चुनाव प्रचार

Thursday, August 28, 2008

लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों को मानते हुए एबीवीपी प्रत्याशियों ने किया रिक्शा में चुनाव-प्रचार

लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों को मानते हुए रिक्शा में चुनाव-प्रचार करते एबीवीपी प्रत्याशी

प्रेस विज्ञप्ति


विद्यार्थी परिषद् डूसू चुनाव अपने कैडर व कार्यकर्ताओं के मनोबल के दम पर लड़ेगी। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद डूसू चुनाव जीतने के लिए धनबल और बाहुबल का मुकाबला अपने कार्यकर्ताओं के मनोबल से करेगी। विद्यार्थी परिषद् दूसरे संगठनों की भांति केवल चुनाव लड़ने के लिए विश्वविद्यालय परिसर में नहीं है, अपितु परिषद् के कार्यकर्ता साल भर सक्रिय रहकर छात्रों के बीच कार्य करते हैं। इस वर्ष विद्यार्थी परिषद् ने पन्द्रह हजार नए छात्र-छात्राओं को परिषद् का सदस्य बनाया है।

विद्यार्थी परिषद् ने शैक्षणिक सत्र के प्रारंभ से ही छात्रों से संपर्क व प्री इलेक्शन कैम्पेन चलाकर छात्र-छात्राओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत बना ली है। विद्यार्थी परिषद् इस वर्ष के चुनाव में एनएसयूआई की चार वर्षों में डूसू की विफलता को मुख्य मुद्दा बनाएगी। विद्यार्थी परिषद् छात्रों के बीच डूसू जीतने के बाद छात्र हितों के लिए किये जाने वाले कार्यों को अपने घोषणा पत्र के माध्यम से छात्रों के बीच रखेगी।

चुनाव प्रचार अभियान के प्रथम दिन विद्यार्थी परिषद् के चारों प्रत्याशियों ने दो ग्रुप बनाकर चुनाव में अपनी ताकत झोंकी। जहां एक ओर अध्यक्ष पद की उम्मीदवार नूपूर शर्मा व संयुक्त सचिव मुकेश शुक्ला ने मोतीलाल, रामलाल आनंद, वेंकेटेश्वर व आत्माराम सनातन धर्म कॉलेज में चुनाव प्रचार कर छात्र-छात्राओं से विद्यार्थी परिषद् के पैनल के लिए वोट मांगे, वहीं दूसरी ओर सचिव पद की उम्मीदवार अनुप्रिया यादव व उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार वासु रूख्खड़ ने हिन्दू कॉलेज, रामजस, हंसराज, किरोड़ी मल कॉलेज व लॉ डिपार्टमेंट में विद्यार्थी परिषद् के पैनल के समर्थन में चुनाव प्रचार कर छात्र-छात्राओं से वोट की अपील की।

परिषद् के उम्मीदवारों ने बताया कि आज के अभियान में सभी महाविद्यालयों में विद्यार्थी परिषद् के पैनल का जोरदार स्वागत किया गया व विद्यार्थी परिषद् द्वारा उठाये गए मुद्दों का भी समर्थन किया गया। परिषद् की अध्यक्ष पद की उम्मीदवार नूपुर शर्मा ने बताया कि दोनों ग्रुप सायंकालीन सत्र में दयाल सिंह, पीजीडीएवी, एलसी-2, मोतीलाल, आत्माराम सनातन धर्म कॉलेज व रामजस, करोड़ीमल, हिन्दू कॉलेज व हंसराज कॉलेज के छात्रावासों में भी संपर्क कर अपने पैनल के लिए वोट मागेंगे।

विद्यार्थी परिषद् ने ब्लॉग के माध्यम से चुनाव-प्रचार तेज किया

दिनांक- 28.08.2008
प्रकाशनार्थ

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव-प्रचार के मद्देनजर छात्रों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए ब्लॉग का सहारा लिया है।

आधुनिकीकरण व तकनीकी युग के इस दौर में विद्यार्थी परिषद् ने आज दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव-प्रचार में गति लाने को लेकर ब्लॉग का शुभारंभ किया, जिसका यूआरएल है- http://www.abvpdusu.blogspot.com । इस साइट पर जहां विद्यार्थी परिषद की विचारधारा व उपलब्धियां प्रस्तुत की गई हैं, वहीं प्रतिदिन डूसू चुनाव-प्रचार से संबंधित फोटो गैलरी, समाचार-पत्रों की कतरनें की छाया-प्रति, प्रेस आमंत्रण, प्रेस-विज्ञप्ति अपलोड किए जायेंगे। इस साइट की यह विशेषता है कि अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी में भी सामग्री प्रस्तुत की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि एक ओर जहां विद्यार्थी परिषद अपने परंपरागत चुनाव-अभियान के तहत विश्वविद्यालय परिसर, कॉलेजों, हॉस्टलों व घरों में जाकर छात्रों से प्रत्यक्षत: संपर्क कर रही है, वहीं कम समय व कम खर्च में लाखों छात्रों तक पहुंचने के लिए ब्लॉग तथा सोशल नेटवर्किंग साइट का सहारा ले रही है।

परिवर्तन के लिए छात्र

जैसा कि सर्वविदित है कि डूसू चुनावों की उद्धोषणा हो चुकी है और इसके लिए आप आने वाली 5 सितम्बर को अपने मताधिकार का प्रयोग करने वाले है। आप अपने बहुमूल्य मताधिकार का प्रयोग करें, इसके पूर्व आपको प्रमुख छात्र संगठनों की पिछले एक वर्ष की गतिविधियों का मूल्यांकन अवश्य करना चाहिए। हम मूल्यांकन की दृष्टि से कुछ तथ्य आपके सामने रखने जा रहे हैं जिन पर दृष्टिपात करने के पश्चात् आप अपना निर्णय सहजता से ले सकेंगे।

  • गत दिनों पूरे देश भर में अनेक घटनाएं-दुर्घटनाएं घटीं, जिस पर डूसू चुनावों में चारों सीटों पर जीत दर्ज करनेवाली एन.एस.यू.आई. बड़ी बेशर्मी से चुप रही।
  • कमरतोड़ महंगाई, आतंकवाद, सांसदों की खरीद-फरोख्त तथा विश्वविद्यालय में हुई गड़बड़ियों पर एन.एस.यू.आई. के प्रतिनिधि मौन धारण किए रहे।
  • हॉस्टलों के आवंटन में पक्षपात, एम.फिल. और पीएच.डी. की छात्रवृत्तियां रोकने, इतिहास की पुस्तकों में हिन्दू देवी-देवताओं के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां करने के मुद्दे पर डूसू के चारों पदाधिकारियों ने बोलना जरूरी नहीं समझा।
  • एन.एस.यू.आई. के प्रतिनिधियों का यह आचरण नया नहीं है। पिछले वर्ष भी एन.एस.यू.आई. के प्रतिनिधि जीतने के बाद छात्रों की समस्याएं सुलझाने की बजाय अपने स्वार्थ पूरे करने में लगे रहे। इनकी नाकामियों और नाकारापन से ऊबकर साऊथ कैंपस में इनके विरूध्द अविश्वास प्र्रस्ताव भी पारित किया गया था।

छात्रों की समस्याएं यथावत् है-

  • डी.टी.सी. के पासों को ब्लू-लाइन में मान्यता नहीं दी जा रही है।
  • छात्रों को मेट्रो में रियायती पास नहीं मिल पाया है, जिस कारण दूर-दराज से आनेवाले छात्रों को कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
  • हॉस्टलों का आवंटन अपने कृपापात्रों को मनमाने तरीके से कर सही हकदारों को वंचित रखा जाता है, जिस कारण छात्र-छात्राओं को निजी आवासों में पेईंग गेस्ट के नाते रहने के दौरान काफी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है।
  • निजी शिक्षण संस्थाओं में मनमाने तरीके से फीस वृध्दि के कारण शिक्षा गरीब छात्रों की पहुंच से बाहर होती जा रही है।
  • छात्रों की इन समस्याओं के विरूध्द एन.एस.यू.आई. द्वारा आवाज नहीं उठाना, छात्रों के प्रति इनकी गैर जिम्मेदारी को दर्शाता है।
  • दूसरी ओर विद्यार्थी परिषद् आपके साथ हमेशा रही है और आम छात्रों से जुड़े मुद्दों को लेकर विद्यार्थी परिषद ने हमेशा संघर्ष किया है।
  • जिन सारे मुद्दों को उठा पाने में एन.एस.यू.आई. नाकाम रही, वे विद्यार्थी परिषद की कार्यसूची में सबसे ऊपर है।
  • भारतीय संस्कृति के अपमानजनक लेखन के विरूध्द विद्यार्थी परिषद ने आवाज उठाई, जिसके लिए विद्यार्थी परिषद के कई कार्यकर्ता जेल भी गए।
  • निजी मकान मालिकों व प्रापर्टी डीलरों की मनमानी के विरूध्द भी विद्यार्थी परिषद ने जून में प्रदर्शन किया और उन्हें चेतावनी दी।
  • हॉस्टल आवंटन में घपले के खिलाफ भी विद्यार्थी परिषद ने संघर्ष किया है और विश्वविद्यालय प्रशासन पर दवाब डाला है।
  • दिल्ली विश्वविद्यालय भारत का प्रमुख विश्वविद्यालय है और यहां का शैक्षणिक स्तर भी काफी ऊंचा है। यहां का माहौल भी स्तरीय है। इसलिए यहां के छात्र प्रतिनिधियों से अपेक्षा की जाती है कि वे देश में घट रही घटनाओं और जनहित से जुड़े मुद्दों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें।
  • महंगाई ने आज आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी है। देश के विभिन्न भागों में आतंकवादी घटनाओं में सैकड़ों लोग मारे गए। केन्द्र सरकार की घुटनाटेक नीति के कारण आज देशद्रोही और अलगाववादी देश पर हावी होते जा रहे हैं, जिसके चलते श्रीअमरनाथ श्राईन बोर्ड को आवंटित भूमि सरकार द्वारा रद्द किया गया। ऐसे सैकड़ों मुद्दों के खिलाफ आवाज उठाना तो दूर एन.एस.यू.आई. ने इस सब के लिए निंदा करना भी जरूरी नहीं समझा।
  • सच तो यह है कि जीत हासिल करने के बाद एन.एस.यू.आई. के प्रतिनिधियों ने छात्र-हितों के साथ हमेशा दगा किया है। छात्रों की जायज मांगों को उठाने के बजाय ये लोग अपने निजी स्वार्थ साधने में लग जाते हैं। पैसा, पैरवी और चापलूसी से एन.एस.यू.आई. का टिकट पाकर इन लोगों ने डूसू चुनाव को निगम पार्षद और विधायक बनने का प्लेटफार्म बना दिया है। इस गंदगी से विश्वविद्यालय परिसर को मुक्त करने की जरूरत है। इसलिए आइए, हम सब मिलकर उसे चुनें जो छात्रों के मुद्दे निर्भीकता और निस्वार्थ भाव से उठा सके।

इस परिर्वन के अभियान में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र सहभागी बनें।

डूसू छात्रों की समस्याएं उठाने और उनका समाधान निकालने का एक सशक्त माध्यम है। आइए, हम सब मिलकर इसको और सशक्त बनाएं.............

Wednesday, August 27, 2008

Press Invitation

You are cordially invited to the Press Conference of the ABVP where in we would be introducing our candidates for DUSU election- 2008.

Kindly honour us with your presence.

Venue - 6 Mahadeva Road
New Delhi-110001

Date - 28/08/08
Time - 4:00pm

Media Coordinators
1. Shri Atif Rasheed - 9212515270 / 9899424848
2. Shri Sreenivas - 9250486011
3. Kum. Niharika Sharma - 9210686827
4. Shri Rajeev Ranjan - 9910453452

ABVP Candidates for DUSU -2008: Profile

Nupur Sharma -President

  • Student of L.L.B. 2nd year D.U.
  • Member of the student Council, Economics Department
  • Member of Organising Committee, all india Summit Hindu College.
  • Volunteered in the People for Animals.
  • Associate Member, Students for Promotion of international Law(SPIL), Delhi Chapter.
  • Active Member of the Environment Council.
  • Participated in various Debates.ABVP Activist.

Vasu Rukhar- Vice President

  • Satyawati Evening College Pass out – B.A. Programme
  • Student of M.A. Bhuddhasim-1st year.
  • Satywati College Students Union President Consecutively for two years.
  • ABVP Senior Activist.

Anupriya Yadav- Secretary

  • Student fo KMC College 1st Year(Poltical Science).
  • ABVP Activist

Mukest Shukla Joint Secretary

  • Student of Shaheed Bhagat Singh College Pass out- BCom.
  • Student of MA Bhuddhasim – 1st Year.
  • Student Union- Central Councellor- Shaheed Bhagat Singh College
  • ABVP Activist

विद्यार्थी परिषद् ने की उम्मीदवारों की घोषणा

आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने डूसू चुनाव के नामांकन प्रक्रिया के खत्म होने के बाद पूरे जोश-खरोश व भारी मात्रा में कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में अपने उम्मीदवारों की घोषणा डीयू परिसर में की। विद्यार्थी परिषद अपने मुद्दों को छात्र-हित में ध्यान में रखते हुए पूरे विश्वविद्यालय व राष्ट्रीय स्तर पर एक नया व वैचारिक परिवर्तन करने का प्रयास करेगी।

घोषणा की सूची निम्न प्रकार से है-
अध्यक्ष - नूपूर शर्मा ( 9810519881, 9311040411)
उपाध्यक्ष
- वासु रूख्खर (9210322008)
सचिव
- अनुप्रिया यादव (9999611060, 9212799449)
सह सचिव - मुकेश शुक्ला (9211675649)

सधन्यवाद
(निहारिका शर्मा)
प्रदेश मंत्री

DUSU Elections 2008- ABVP Declares Candidates

New Delhi ,27/08/2008 : Declaration of ABVP Candidates

President : Nupur Sharma
Vice President :
Vasu Rukhar
Secretary : Anupriya Yadav

Joint Secretary : Mukesh Shukla

About Us

The ABVP was started soon after independence with the objective of channelising students' energies in the task of national reconstruction by a group of students and teachers who drew their inspiration from the RSS, the premier nationalist organisation of the country. Its growth process was slow and sporadic in the first few years but it picked up after Prof. Yeshwantrao Kelkar, a lecturer in Bombay, became its main organiser in 1958. He was its real architect and builder. As a consequence of singe-minded devotion of Prof. Kelkar, who passionately tried to build up this organisation till his death in 1987, the ABVP is what it is today.

The uniqueness of the Parishad lies in the fact that it has emerged as a stable organisation of floating population of students. Perhaps no social organisation has its members changing so quickly and regularly as the ABVP has. Despite this handicap, the ABVP has gained strength day by day. In all probability, the ABVP is the only example of its type throughout the world. Another unique feature of the oraganisation is that though it is a student organisation in every respect, the teachers also take an active part in its functioning. Ever since its inception teachers have been deeply involved in building up the organisation and they comprise the permanent component of the membership.
What distinguishes the ABVP from other organisations is the fact that it is a full-fledged and regular student organisation which has evolved a distinct
philosophy and role for a student organisation and which organises multifarious activities to fulfill its objective of national reconstruction.
So far as ABVP's contribution in the national life is concerned it can be said with pride that apart from organising a lot of constructive and meaningful activities and helping to solve the problems related to student and educational field, the Parishad has played an important role in highlighting and solving larger problems of the country. The thoughts and ideals of the ABVP on educational change can prove as valuable assets for any educational ministry or department. Be it the issue of terrorism in Kashmir or of infiltration of foreigners into Assam and border states, or the issue of reservation and Mandal recommendations or the gigantic task of integrating north-eastern citizens with those of the other parts of the country or the problem of unemployment and economic reconstruction of the country or the fight against social inequalities or the calamity of earthquake in Marathwada, the ABVP has never been found wanting both on the plains of thinking and action. The ABVP today has a cadre of socially committed workers who are capable of undertaking any challenging task.

The coming days would witness a more active, meaningful and effective participation by the ABVP in the task of national reconstruction and the country and its citizens would feel proud of such a role of the ABVP.