स्वतंत्रता के तुरत बाद जब राष्ट्र के पुनिर्नर्माण की आवश्यकता थी, ऊर्जा सम्पन्न युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की स्थापना 1948 ई में हुई।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (अभाविप) कई मायनों में विशिष्ट है। यह एकमात्र ऐसा छात्र-संगठन है, जिसमें छात्र, शिक्षक और शिक्षाविदों की भूमिका सक्रिय रूप से होती है। आज अभाविप न केवल भारत का बल्कि विश्व का सबसे बड़ा छात्र-संगठन है। यह लगभग 4000 कॉलेजों और 490 जिलों में सक्रिय है और लगभग 16 लाख छात्र इसके सदस्य हैं, जिसमें कुल सदस्यों का 42 प्रतिशत छात्राएं हैं।
अभाविप का इतिहास इस बात का गवाह है कि इसने न केवल युगीन परिस्थितियों के अनुसार अपने को ढाला है बल्कि नवीन परिवर्तनों को दिशा भी दी है। 1973 ई में गुजरात के एक इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रावास की फीस वृद्धि को लेकर अभाविप द्वारा चलाया गया `नव निर्माण आन्दोलन´ धीरे-धीरे कांग्रेस सरकार के कुशासन, भ्रष्टाचार, मंहगाई आदि मुद्दों को भी अपने में सिम्मलित करता गया और एक राज्यव्यापी आंदोलन बन गया। इस आन्दोलन का समापन अंतत: गुजरात के मुख्यमंत्री चिम्मन भाई पटेल के इस्तीफे के साथ हुआ। ऐतिहासिक जेपी आन्दोलन जिसने इंदिरा गाँधी का तख्ता पलट दिया, इस `नव निर्माण आंदोलन´ से प्रेरित तो था ही अपना वैचारिक आधार भी इसी से ग्रहण करता था।
इन साठ वर्षों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने छात्र-हित से लेकर राष्ट्र के व्यापक हित से सम्बद्ध समस्याओं की ओर बार-बार ध्यान दिलाया है और अपनी विभिन्न प्रकार की रचनात्मक गतिविधियों द्वारा इसके समाधान का प्रयास भी किया है। स्वतंत्रता के इतने वर्षों के बाद भी शिक्षा का क्षेत्र लगभग उपेक्षित रहा है। कुल राष्ट्रीय व्यय की दृष्टि से शिक्षा पर व्यय नगण्य है। ऐसे में शिक्षा के व्यवसायीकरण की बात चल रही है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् इसके खिलाफ बार-बार आवाज उठाती रही है। इसके अतिरिक्त अलगाववाद, अल्पसंख्यक तुष्टीकरण, आतंकवाद और भ्रष्टाचार जैसी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के खिलाफ हम लगातार संघर्षरत रहे हैं। इन समस्याओं का समाधान कर सामाजिक समरसता हासिल करना और राष्ट्र को मजबूत बनाना हमारा उद्देश्य है।
अभाविप देश के बहुत सारे शैक्षणिक परिसरों में कार्य करती रही है और छात्र-समुदाय को राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रहित के लिए विभिन्न मुद्दों पर झकझोरती रही है। कांग्रेस के वैचारिक दिवालियेपन और सत्ता-प्रेम ने उसे कम्युनिस्ट देशद्रोहियों से हाथ मिलाने पर विवश कर दिया है। मातृसंस्था से प्रेरणा लेते हुए NSUI आज उसी दिवालियेपन और मानसिक गुलामी से त्रस्त है। ऐसे में राष्ट्र और राष्ट्रीय हित ही हाशिये पर चले गये हैं फिर छात्र हितों की बात करना ही बेमानी है। दिल्ली विश्वविद्यालय देश के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में से है। यह वह संस्थान है जिसकी ओर सम्पूर्ण भारत देखता है। अत: इसके उत्थान और पतन के साथ भारत का भविष्य अनिवार्य रूप से जुड़ा है। आज अवसरवादी और सर्वसत्तावादी ताकतों ने जब राष्ट्रीय अस्मिता और अखण्डता पर सवाल खड़े कर दिये हैं, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो गयी है। दिल्ली विश्वविद्यालय से अभाविप सारे भारत में यह संदेश प्रेषित करेगी कि छात्र-विरोधी गतिविधि वाले किसी संगठन या विचारधारा को भारत का छात्र-समुदाय उखाड़ फेंकेगा।
राष्ट्रीय समस्याए :
देश की वर्तमान समस्याओं मसलन-किसानों की आत्महत्या, अल्पसंख्यक तुष्टीकरण, वोट-बैंक की राजनीति, राजनीति का अपराधीकरण और मंहगाई आदि से अभाविप चिंतित है। इसके अतिरिक्त हम राजनीतिक लाभ के लिए सामरिक नीति और विदेश नीति को गुलाम बना देने की रणनीति का भी विरोध करती है। कहना न होगा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में वे सारे कृत्य हुए जो राष्ट्रीय हित के खिलाफ जाते हैं। यूपीए की सरकार में SEZ के नाम पर हजारों एकड़ उपजाऊ जमीन उद्योगपतियों को औने-पौने दामों पर मुहैय्या करायी गयी। यूपीए के ही एक घटक CPM ने सिंगुर और नंदीग्राम में जो नृशंस तांडव किया, हम उससे वाकिफ हैं, लेकिन यूपीए ने क्या किया? देश के कठपुतली प्रधानमंत्री का स्पष्ट बयान आता है कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। तुष्टीकरण का इससे घटिया नमूना और क्या हो सकता है! जम्मू-कश्मीर में भी कांग्रेस की यही रीढ़विहीन सरकार है जो अमरनाथ श्राइन बोर्ड को जमीन देने की घोषणा करने के बाद अलगाववादी कट्टरपंथियों के दबाव में वापस ले लेती है। यही वह सरकार है जो संसद पर हमला करने के आरोपी अफजल को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद फंसी नहीं दे रही। कारण है वोट बैंक की गंदी राजनीति। निजीकरण के नाम पर शिक्षा का व्यवसायीकरण भी इसी सरकार की देन है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् इस व्यवसायीकरण का विरोध करती है और उच्च शिक्षा को सर्वसुलभ बनाने की मांग करती है। आज देश में हिंसा की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। महिलाएं अपने को असुरक्षित महसूस कर रही हैं।
यूपीए सरकार को पोटा से दिक्कत है लेकिन वह आतंकवाद से निपटने का दंभ भरती है। बंगलादेशी घुसपैठियों को इसने अनेक राज्यों में नागरिकता देकर बसाया है। अनेक आतंकवादी घटनाओं और बम विस्फोटों में लिप्त सिमी को यूपीए के घटक दल सुरक्षा मुहैय्या करा रहे हैं। इस विकट परिस्थिति में जब राष्ट्र की अस्मिता और सम्प्रभुता पर खतरे मंडरा रहे हैं, भारत सरकार लगातार अमेरिकी साम्राज्यवाद के सामने घुटने टेक रही है। भारत-अमेरिका परमाणु समझौते में यह साफ दिखाई देता है। ऐसे में हम छात्र समुदाय से अपील करते हैं कि वे हमारे साथ आयें और राष्ट्र-निर्माण में सहयोग करें।
विश्वविद्यालय से सम्बद्ध समस्याएं :
दिल्ली विश्वविद्यालय देश के सर्वोत्तम विश्वविद्यालयों में से है और इसने कई क्षेत्रों में कीर्तिमान स्थापित किया है, परंतु गत कुछ वर्षों में इसकी प्रतिष्ठा धूमिल हुई है। यह दुर्भाग्य का विषय है कि एक ओर जहां कांग्रेस-नीत केन्द्र सरकार राष्ट्रनायक भगवान श्रीराम के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगाने का दुस्साहस करती हैं वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय का इतिहास विभाग आधुनिक रामायण के नाम पर तथ्यों को गलत ढंग से प्रस्तुत कर छात्रों में राष्ट्रनायकों के प्रति हीन भावना पैदा करने का कृत्य कर रही है। ऐसे में यहाँ के छात्रों और छात्र-संगठनों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। लेकिन इधर कई वर्षों से दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ पर उस NSUI का दबदबा रहा है, जिसने अपनी गैरजिम्मेदाराना हरकतों से विश्वविद्यालय की छवि को धूमिल कर दिया है। यह छात्र-संगठन विश्वविद्यालय के प्रबुद्ध छात्रों से वादाखिलाफी कर इस महान् विश्वविद्यालय की कैसी छवि निर्मित कर रहा है यह किसी से छिपी नहीं है। देश के अन्य विश्वविद्यालयों के समक्ष ये कैसा आदर्श प्रस्तुत कर रहे हैं। वादाखिलाफी के कुछ नमूने इस प्रकार हैं :
•होस्टलों की संख्या में कोई इजाफा नहीं। दिल्ली के बाहर के छात्रों की दिक्कत से कोई सरोकार नहीं।- वायदा किया था होटल बनवाने का, पर भूल गये शायद?
•आन्तरिक परीक्षा प्रणाली की खामियों को दूर कर पारदर्शी बनाया जाएगा - खैर, जब लाभ अपना ही हो तो किया क्या जाए?
•छात्राओं से संबंधित अपराध में वृद्धि - इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाये।
•छात्रों को मेट्रो रेल में कोई रियायत नहीं - छात्र हितों से कोई सरोकार हो तब तो पहल करते।
मित्रों, `मुद्दे बरकार रहें, ताकि हम चुनाव लड़ें´, यह NSUI की पुरानी आदतें है। NSUI के इस नाकारेपन पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् सवाल खड़े करती है। मुद्दों का बरकरार रह जाना एक शर्मनाक स्थिति है, अकर्मण्यता है। इतिहास इस बात का गवाह है कि विद्यार्थी परिषद ने जो भी वायदे किये, पूरे किये। हम छात्र समुदाय से अपील करते हैं कि वे हमारा साथ दें। हम अगर चुनाव जीत कर आये तो हम उनकी आकांक्षाओं पर खरे उतरेंगे और निम्नलिखित विषयों पर काम कर उन्हें तार्किक परिणाम तक पहुँचाने की कोशिश करेंगे :
शुल्क संरचना
•शुल्क संरचना के विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन, निरीक्षण एवं अनुशंसा कराने का प्रयास, ताकि इसे समान तथा तार्किक बनाया जा सके।
प्रवेश प्रक्रिया में सुधार
•महाविद्यालयों एवं पाठ्यक्रमों के संदर्भ में विद्यार्थियों की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए केद्रीय प्रवेश प्रक्रिया के लिए अभाविप के नेतृत्व वाला छात्रसंघ हर प्रकार के कदम उठाएगा।
•हम खेल-कूद, संस्कृति तथा अन्य कोटे से होने वाले प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग करेंगे।
•ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले विद्यार्थियों को प्रवेश में उचित रियायत देने की मांग।
•विभिन्न महाविद्यालयों के सभी पाठ्यक्रमों में अनुसूचित जाति-जनजाति तथा विकलांग कोटे को पूरा करने के लिए प्रयास करेंगे।
परीक्षा सुधार
•प्रवेश के समय ही,प्रवेश से परिणाम तक की तयबद्ध समय सारिणी जारी करने की मांग।
•पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए हम उत्तर पुस्तिका की प्रति छात्रों की मांग पर उपलब्ध करने की व्यवस्था का प्रयास करेंगे।
•सर्वश्रेष्ठ उत्तर पुस्तिका को पुस्तकालय में उपलब्ध कराने का प्रयास किया जायेगा।
आतंरिक मूल्यांकन
•आंतरिक मूल्यांकन की व्यवस्था की खामियों को दूर करने का प्रयास करेंगे। (Internal assessment में moderation की आड़ में भेदभावपूर्ण रवैया निंदनीय है। महाविद्यालय की तथाकथित `प्रतिष्ठा´ के नाम पर महाविद्यालयों द्वारा भेजे गए अंकों को बदलना कहां तक उचित है?)
परिवहन
•Delhi Metro में रियायती स्टूडेंट पास के लिए संघर्ष करेंगे।
•हम अधिक से अधिक यू स्पेशलों की मांग सभी स्तरों पर जारी रखेंगे।
•STA अनुमोदित ब्लू लाइन बसों में स्टूडेंट पास लागू कराने के लिए संघर्ष करेंगे।
•हम उत्तरी एवं दक्षिणी परिसर में शटल बस सुविधा के लिए प्रयास करेंगे।
•विद्यार्थी पास NCR region से चालित वाहनों में लागू करने की मांग करेंगे।
शैक्षिक मुद्दे
•B.Sc. restructured course के पाठ्यक्रम में व्यापक खामियों को दूर करने का प्रयास करेंगे। जिस छात्र ने कक्षा 11में अपनी पसन्द से विषयों का चयन किया हो उसी छात्र को Graduation में गैर पसन्दीदा विषयों को पढ़ने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। कॉलेजों में बिना Infrastructure के इन पाठ्यक्रमों को शुरू करने में प्रशासन की जल्दबाजी समझ के परे है। इसी के चलते कई महाविद्यालयों में 0% परीक्षा परिणाम रहा है। जिसे छुपाने के लिए प्रशासन परिणाम घोषित करने के बाद इसका moderation करने की योजना बना रहा है। विद्यार्थी परिषद् इस समस्या की जड़ को सुलझाने की मांग करता है। हम इन पाठ्यक्रमों को अच्छे ढंग से चलाने हेतु व्यापक Infrastructure की भी मांग करेंगे।
•हर विद्यार्थी को उसके महाविद्यालय में मुफ्त Internet की सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे।
•सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत शिक्षा के लिए आबंटित करने की मांग को हम जारी रखेंगे।
•विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा विश्वविद्यालयों को दिये जा रहे अनुदान में किसी भी प्रकार की कटौती का हम विरोध करेंगे।
•बढ़ रही छात्रों की संख्या को देखते हुए ग्रामीण इलाकों सहित और अधिक कॉलेज खुलवाने का प्रयास करेंगे। जिसमें कम से कम 50 प्रतिशत कॉलेज छात्राओं के लिए बनवाने का संघर्ष करेंगे।
•सभी कॉलेजों में सांध्यकालीन कक्षाएं शुरु करने का प्रयास करेंगे।
•सांध्य महाविद्यालयों के लिए यू-स्पेशल, जेनरेटर एवं एक परिवर्तित समय सारिणी के प्रावधान करवाने का प्रयास करेंगे।
•एक केन्द्रीयकृत सूचना केन्द्र विश्वविद्यालय स्तर पर शुरू करने के लिए प्रयास करेंगे।
•पूर्व एवं पश्चिमी परिसरों की स्थापना के लिए भी प्रयास करेंगे।
•विश्वविद्यालय स्वास्थ्य केन्द्र में शय्याओं की व्यवस्था का प्रयास करेंगे।
•पूर्वी कैम्पस में लॉ-फैक्लटी खुलवाने के लिए प्रयास करेंगे।
•केन्द्रीय और कला पुस्तकालयों को कम्प्यूटरीकृत करवाने का प्रयास करेंगे।
•विश्वविद्यालय के सभी कॉलेजों में स्थायी कम्प्यूटर साक्षरता पाठ्यक्रम शुरू करवाने का प्रयास करेंगे।
•केन्द्रीय संदर्भ पुस्तकालय 24 घण्टे अध्ययन के लिए खुले, इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन पर दबाव बनायेंगे।
•छात्र-छात्राओं के साथ हो रहे शोषण को रोकने एवं सही किराये के लिये प्राइवेट हॉस्टलों, मकान मालिकों एवं छात्रों की एक समिति बनाने की मांग की जायेगी।
व्यवसायिक शिक्षा
•हम सूचना प्रोद्यौगिकी, जैव प्रोद्यौगिकी, बिजनेस इकोनोमिक्स इत्यादि व्यावसायिक शिक्षा की बढ़ोत्तरी के लिए प्रयास करेंगे।
•हम उभरते हुए व्यावसायिक एवं रोजगारपूरक पाठ्यक्रमों को शुरू करने हेतु एक विश्वविद्यालय स्तरीय स्थायी समिति की मांग करेंगे।
नियुक्ति संस्थान (Placement cell)
•हम विश्वविद्यालय स्तरीय नियुक्ति संस्थान स्थापित करने का प्रयास करेंगे, जो सरकारी एवं गैरसरकारी संस्थाओं से समन्वय स्थापित कर छात्रों को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए कार्य करेगा।
•यह संस्थान स्थायी रूप से छात्रों को रोजगार एवं कैरियर तथा परिसर में नियुक्ति एवं अवसरों की भी जानकारी देगा।
छात्रावास सुविधाएं
•हम उत्तरी एवं दक्षिणी क्षेत्र में पर्याप्त सुविधायुक्त नये छात्रावास खोलने के लिए प्रयास करेंगे।
•हम अनुसूचित जाति, जनजाति, विकलांग एवं छात्राओं के लिए अधिक से अधिक छात्रावासों के लिए प्रयास जारी रखेंगे।
लैंगिक संवेदनशीलता
•हम यौन उत्पीड़न विरोधी समिति को और अधिक प्रभावी बनवाने की मांग करेंगे।
•हम रचनात्मक कार्यक्रमों के माध्यम से समिति के कार्यों का विस्तार करेंगे।
•हम इस समिति में छात्र प्रतिनिधित्व के लिए भी प्रयास करेंगे।
छात्रवृत्ति
•हम महंगाई को देखते हुए छात्रवृत्ति में बढ़ोत्तरी के लिए कार्य करेंगे एवं छात्रवृत्ति का मूल्य सूचकांक के साथ जोड़ने के लिए मांग करेंगे।
•हम सभी अनुसूचित जाति, जनजाति एवं विकलांग छात्रों के लिए छात्रवृत्ति के प्रावधान हेतु कार्य करेंगे।
•हम सामाजिक तथा आर्थिक रूप से दुर्बल छात्रों के लिए आर्थिक सहायता हेतु उद्योग-छात्र-स्वयंसेवी संस्थाओं के बीच संवाद कायम करेंगे। इस प्रकार की समस्त आर्थिक सहायता को एक आर्थिक सहायता समिति के माध्यम से आबंटित करवाने का प्रयास करेंगे।
सुरक्षित एवं भयमुक्त परिसर
•हम उत्तरी परिसर को कॉम्पैक्ट बनाने की अपनी मांग को आगे बढ़ायेंगे।
•छात्राओं की आत्मरक्षा हेतु हम नियमित रूप से विश्वविद्यालय परिसर एवं अन्य महाविद्यालयों में आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने की मांग करेंगे।
•परिसरों के सभी छात्रावासों एवं अन्य संवेदनशील स्थानों पर पुलिस बूथ लगाने की मांग को उठाया जायेगा तथा इन बूथों पर महिला पुलिसकर्मियों की उपस्थिति को भी सुनिश्चित करने का प्रयास किया जायेगा।
एक सम्पूर्ण दक्षिणी परिसर
•हम स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स निर्माण के प्रयास हेतु वचनबद्ध है।
•छात्रावास सुविधाओं के विकास एवं विस्तार के लिए भी प्रतिबद्ध है।
हिन्दी माध्यम से पढ़ाई
•हम स्नातकोत्तर एवं अन्य कक्षाओं में हिन्दी माध्यम से पढ़ाए जाने के लिए प्रयास करेंगे एवं समस्त परीक्षाओं में हिन्दी में उत्तर लिखने का अधिकार हासिल करने का प्रयास करेंगे।
छात्र बीमा
•हम 1 रु. के प्रीमियम पर छात्रों को 5 लाख रुपये की बीमा सुविधा उपलब्ध कराने की मांग करेंगे।
डूसू का संचालन
•डूसू का संचालन हम लोकतांत्रिक तरीके से पुन: प्रस्थापित करेंगे।
•डूसू के आर्थिक मामलों में पारदर्शिता लाएंगे।
•विश्वविद्यालय के कार्यकारी परिषद् में डूसू अध्यक्ष एवं ``यूनिवर्सिटी कोर्ट´´ में सभी डूसू पदाधिकारियों की सहभागिता के लिये प्रयास करेंगे।
डूसू की खोई प्रतिष्ठा को पुन: बहाल करके उसे छात्रों एवं विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच संवाद का जरिया बनाने की पहल करेंगे।
मित्रों,
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के नेतृत्व में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ उत्कृष्ठ शैक्षणिक माहौल और सुरक्षित परिसर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। हमने जो भी वायदे किये हैं उसे पूरा करेंगे। हम छात्र समुदाय से वोट की भीख नहीं मांगते , हम कर्ज मांगते हैं, जिसे हम सूद समेत वापस करेंगे-यानि आपकी आकांक्षाओं का विश्वविद्यालय बनाकर।
वन्दे मातरम्
डूसू चुनाव, 5 सितम्बर 2008 के लिए अभाविप प्रत्याशी
नाम- पद- बैलट न.
नूपुर शर्मा- अध्यक्ष- 3
वासु रुक्खड़- उपाध्यक्ष- 5
अनुप्रिया यादव- सचिव- 3
मुकेश शुक्ला- सह-सचिव- 3
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