दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की ओर से उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार वासु रूख्खड़ लगातार दो वर्षों तक सत्यवती कॉलेज छात्र संघ के अध्यक्ष रहे है। उन्होंने अनेक आंदोलनों में भाग लिया है। शहीद शिरोमणि भगत सिंह को अपना आदर्श मानने वाले वासु रूख्खड से डूसू चुनाव-प्रचार के दौरान संजीव कुमार सिन्हा ने अनेक मुद्दों पर चर्चा की। प्रस्तुत है मुख्य अंश-
देश में अनेक छात्र संगठन हैं। आप विद्यार्थी परिषद् से ही क्यों जुड़े?
देश में कुछ छात्र संगठन ऐसे है, जिनकी जड़ें विदेशी विचारधारा से जुड़ी है। कुछ ऐसे है जो चुनावी कुकुरमुत्ते की भूमिका निभाते है। विद्यार्थी परिषद् ही देश का एकमात्र छात्र संगठन है जो भारतीय विचार से अनुप्राणित है और वर्ष में 365 दिन कॉलेजों में सक्रिय रहता है। परिषद् ही एकमात्र संगठन है जो शिक्षा क्षेत्र के साथ-साथ राष्ट्रीय मुद्दों पर भी अभियान चलाता है। इसलिए मैं विद्यार्थी परिषद का सदस्य बना।
निजीकरण की आड़ में शिक्षा का व्यासायीकरण धड़ल्ले से जारी है। इससे उच्च शिक्षा आम छात्रों की पहुंच से दूर नहीं हो रही है?
विद्यार्थी परिषद् शिक्षा के व्यावसायीकरण का स्पष्ट तौर पर विरोध करती है। हम शिक्षा को बाजार की वस्तु बना देने का विरोध करते है।
दिल्ली विश्वविद्यालय में आज अनेक समस्याएं मुंह बाएं खड़ी है। पुस्तकालयों में किताबें नहीं है। लैबोरेट्री में उपकरण नहीं है। छात्रों की संख्याएं लगातार बढ़ रही है लेकिन छात्रावासों की संख्या में इजाफा नहीं हो रहा है। कैम्पसों में छात्राओं के साथ छेड़खानी की घटनाएं बढ़ रही है। आंतरिक मूल्यांकन के नाम पर विद्यार्थियों के साथ भेदभाव जारी है। यू-स्पेशल बसों में कटौती जारी है। ऐसी अनेक समस्याएं है जिनको लेकर हम छात्रों के बीच जा रहे है।
लिंग्दोह कमेटी की सिफारिशों से आप कहां तक सहमत है?
तमाम कमियों के बावजूद हम लिंग्दोह कमेटी की सिफारिशों का स्वागत करते है। छात्र आंदोलन के गिरते स्तर को लेकर विद्यार्थी परिषद् भी चिंतित है। लिंग्दोह कमेटी की सिफारिशों में प्रमुख कमियां यह है कि यह व्यावहारिक धरातल से दूर है। यू स्पेशल और डीटीसी बसों की संख्या कम हो रही है। मेट्रो रेल में छात्रों को रियायती पास नहीं मिलता। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ से संबद्ध कॉलेज दिल्ली भर में फैले हुए है। इसलिए डूसू चुनाव-प्रचार महज पांच हजार रुपए में संपन्न हो, यह उचित नहीं है।
इस बार डूसू चुनाव में कौन से प्रमुख मुद्दे है?
दिल्ली विश्वविद्यालय में आज अनेक समस्याएं मुंह बाएं खड़ी है। पुस्तकालयों में किताबें नहीं है। लैबोरेट्री में उपकरण नहीं है। छात्रों की संख्याएं लगातार बढ़ रही है लेकिन छात्रावासों की संख्या में इजाफा नहीं हो रहा है। कैम्पसों में छात्राओं के साथ छेड़खानी की घटनाएं बढ़ रही है। आंतरिक मूल्यांकन के नाम पर विद्यार्थियों के साथ भेदभाव जारी है। यू-स्पेशल बसों में कटौती जारी है। ऐसी अनेक समस्याएं है जिनको लेकर हम छात्रों के बीच जा रहे है।
डूसू की राजनीति धनबल और बाहुबल पर टिकी हुई है। देश के प्रतिष्ठित छात्र संघ की इस स्थिति में बदलाव नहीं आना चाहिए है?
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ का गौरवशाली इतिहास रहा हैं। आपातकाल और बोफोर्स घोटाला के विरोध में डूसू ने व्यापक संघर्ष छेड़ा था। दुर्भाग्य से गत कुछ वर्षों में डूसू की गरिमा धूमिल हुई है। एनएसयूआई के नेतृत्ववाले डूसू ने छात्र हितों से खिलवाड़ किया है। आज छात्रसंघ भवन पेशेवर राजनीति का अड्डा बना हुआ है। डूसू पदाधिकारी अपने कांग्रेसी आकाओं को खुश करने में लगे रहते है। परिषद् देश का एकमात्र छात्र संगठन है जो दलीय तथा सत्तावादी राजनीति से ऊपर है। छात्रों का प्रतिनिधि संगठन होने के कारण डूसू महत्वपूर्ण संस्था है। विद्यार्थी परिषद् डूसू की गरिमा बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध है।
चुनाव-प्रचार के दौरान कॉलेजों में छात्रों की ओर से आपको कैसा प्रतिसाद मिल रहा है?
एनएसयूआई द्वारा ठगे जाने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र बड़ी शिद्दत के साथ विद्यार्थी परिषद् की जरूरत को महसूस करते है। चुनाव-प्रचार के दौरान परिषद् के पूरे पैनल को छात्रों का जबर्दस्त समर्थन मिल रहा है। इस बार वे एनएसयूआई के धोखे में नहीं आने वाले है और परिषद् प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित है।
2 comments:
Vasu Rukhar ko main varshon se janta hun. Vah sangharshsheel chhtra neta hain. es sakshatkar mein bhi unhone sabhi prashnon ke gambhir jawab diye hain. Delhi University mein chhatra aandolan ko vasu ek nayee disha de, ve hajaron maton se jeete, meri yahi shubhkamanayein hain.
I WISH ABVP BEST OF LUCKJAHA TAK ABVP CANDIDATE KI BAAT HAIMERE KHAYAL SE ABVP NE INKE SALECTION ME KOI GALTI NAHI KI HAI OR APNI POORI BUDHIMATTA KA PARICHAYA DIYA HAI NUPUR, OR VASU KE SATH ANUPRIYA KA MEDIA FASH GAJAB KA HAI.ISE BAAR DUSU KO JEETNE SE HAMAIN DUNIYA KI KOI TAKAT NAHI ROK SAKTIFOR ABVP:" AAYE LAKH TOOFAN MAGAR DEEP HAMARE JALTE RHENGE. KARNA HAI HANSHIL GULAB HAR KEEMAT PAR YAARO. DAALI MAI KANTE MILTE RAHENGE"
FOR NSUI:" KAYARO SE JUNG KA AGAAJ NAHI HOTA.BUJDILO KI MUTTHI ME KOI RAAJ NAHI HOTA.PAD JATI HAI JINKI AADAT SAR KO JHUKAKAR CHALNE KI.UN GULAMO KE SAR PE KABHI TAAJ NAHI HOTA.
IN NSUI KE BHEDIYO KO KUCH DIN JANGAL ME GHOOMNE KYA DIYA YE SAMJHNE LAGE KI SHER JANGAL ME NAHI HAI. LEKIN HUM BATA DENGE UNHE. KI JANGAL ME BHEDIYE KITNE HI KYO NA HO RAJA SHER HI RAHEGA.
MERA ABVP KE CANDIDATES SE YE HI KAHNA HAI KI " JUNG NA HO BARABAR KI TO JUNG KA MAZA KYA HAI. KARLE KHUD KO BULAND ITNA KI. KHUDA BHI POOCHE BATA TERI RAZA KAYA HAI" JAI HIND VANDEY MAATRAM LOKESH SEETHA FROM> SAWAI MADHOPUR(RAJ.)
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